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150 करोड़ का घोटाला उजागर करने वाले गुजरात के इसुदान गढ़वी की कहानी

AAP ने उन्हें CM फेस बनाया तो देश भर में चर्चा हुई कि आखिर ये शख्स है कौन। हालांकि, इसुदान गुजरात खासकर सौराष्ट्र इलाके में अपनी निडर पत्रकारिता के लिए काफी पहले से पहचाने जाते रहे हैं। राजनीति में आने से पहले एक स्थानीय न्यूज चैनल वीटीवी गुजराती पर हर रोज रात 8 से 9 बजे तक उनका शो ‘महामंथन’ आता था। ये शो काफी मशहूर था, जिसमें आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाए जाते थे। इसुदान को AAP ने द्वारका जिले में आने वाली जाम खंभालिया सीट से उम्मीदवार बनाया है।

05:50 PM Nov 16, 2022 IST | Desk Team

AAP ने उन्हें CM फेस बनाया तो देश भर में चर्चा हुई कि आखिर ये शख्स है कौन। हालांकि, इसुदान गुजरात खासकर सौराष्ट्र इलाके में अपनी निडर पत्रकारिता के लिए काफी पहले से पहचाने जाते रहे हैं। राजनीति में आने से पहले एक स्थानीय न्यूज चैनल वीटीवी गुजराती पर हर रोज रात 8 से 9 बजे तक उनका शो ‘महामंथन’ आता था। ये शो काफी मशहूर था, जिसमें आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाए जाते थे। इसुदान को AAP ने द्वारका जिले में आने वाली जाम खंभालिया सीट से उम्मीदवार बनाया है।

इन दिनों गुजरात में आप का सीएम इसुदान गढ़वी काफी चर्चा में बने हुए है इसलिए आज उनके बारे में ही बात होगी ताकि जनता को उनके बारे में जानकारी मिल सके। बता दें जब AAP ने उन्हें CM फेस बनाया तो देश भर में चर्चा हुई कि आखिर ये शख्स है कौन। हालांकि, इसुदान गुजरात खासकर सौराष्ट्र इलाके में अपनी निडर पत्रकारिता के लिए काफी पहले से पहचाने जाते रहे हैं। राजनीति में आने से पहले एक स्थानीय न्यूज चैनल वीटीवी गुजराती पर हर रोज रात 8 से 9 बजे तक उनका शो ‘महामंथन’ आता था। ये शो काफी मशहूर था, जिसमें आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाए जाते थे। इसुदान को AAP ने द्वारका जिले में आने वाली जाम खंभालिया सीट से उम्मीदवार बनाया है। वे खंभालिया के ही पिपलिया गांव में रहते हैं। बता दें कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन से की थी। वहां 2007 से 2011 तक रहे। जब वे ईटीवी गुजराती में थे तो पोरबंदर में रहते हुए उन्होंने किसानों की समस्याओं पर कई न्यूज स्टोरी कीं।
150 करोड़ के खुलासे से मिली थी पहचान
इसुदान ने 2015 में डांग और कापरड़ा में पेड़ों की कटाई में हुए 150 करोड़ रुपए के करप्शन का पर्दाफाश किया था। इसके बाद सरकार को एक्शन लेने पर मजबूर होना पड़ा। गांव के लोग इन कहानियों को ऐसे सुनाते हैं जैसे वो उनका हिस्सा रहे हों।

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