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'Bulldozer Justice' पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल

विवादित ‘Bulldozer Justice’ पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर देशभर के राजनीतिक नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।

08:38 AM Nov 13, 2024 IST | Samiksha Somvanshi

विवादित ‘Bulldozer Justice’ पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर देशभर के राजनीतिक नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।

 bulldozer justice  पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल

जानिए इस मुद्दे पर नेताओ ने क्या कहा ?

‘Bulldozer Justice’ पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर देशभर के नेता कुछ न टिपण्णी कर रहे है , जिनमें से कुछ ने फैसले का स्वागत किया तो कुछ ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने फैसले का स्वागत किया। एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह फैसला उन लोगों पर तमाचा है जो ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की बात करते हैं। यह राजनीति उत्तर प्रदेश में शुरू हुई थी। एक खास समुदाय और गरीबों के खिलाफ कार्रवाई की गई । हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।”

भाजपा नेता राजेंद्र शुक्ला ने फैसले पर सहमति जताई

इस बीच, मध्य प्रदेश में भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने फैसले पर सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का कोई भी निर्देश एक तरह का आदेश होता है। अगर किसी खास कार्रवाई पर कोई टिप्पणी की गई है, तो उसके बारे में जानने के बाद ही कुछ कहना उचित होगा।” बिहार कांग्रेस के एआईसीसी प्रभारी मोहन प्रकाश ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “यह इस सरकार की नीयत और नीति है। अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया जाता है, लेकिन अगर किसी का नाम एफआईआर में आता है और आप उस पर बुलडोजर चलाते हैं, तो यह सरासर दुरुपयोग है। आज सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ भी कहा है, मुझे डर है कि सरकार इसे भी स्वीकार नहीं करेगी।”

जानिए BSP नेता ओम प्रकाश राजभर की प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा देश स्वागत करता है, सरकार इसका स्वागत करती है, विपक्ष भी इसका स्वागत करता है। सरकार किसी का घर गिराने की मंशा नहीं रखती है। अगर किसी अपराधी ने अवैध संपत्ति अर्जित की है और सरकारी जमीन पर घर बनाया है, तो जमीन खाली कराई जाती है। सरकार कभी किसी की निजी जमीन पर बने घर को नहीं गिराती है” इससे पहले दिन में शीर्ष अदालत ने ‘बुलडोजर न्याय’ पर अंकुश लगाने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए।

न्यायालय ने आदेश दिया कि तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए

अदालत ने कहा कि कार्यपालिका किसी व्यक्ति को एकतरफा दोषी घोषित नहीं कर सकती है या बिना उचित प्रक्रिया के उसकी संपत्ति को गिराने का फैसला नहीं कर सकती है। इस आदेश में निर्देश दिया गया है कि संपत्ति के मालिक को 15 दिन का नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए, जिसे पंजीकृत डाक द्वारा भेजा जाना चाहिए और संपत्ति पर भी लगाया जाना चाहिए। नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति, विशिष्ट उल्लंघन और तोड़फोड़ के कारणों को स्पष्ट किया जाना चाहिए। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए। इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर न्यायालय की अवमानना ​​के आरोप लग सकते हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की तोड़फोड़ कानूनी रूप से की जानी चाहिए

निर्णय में व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया गया है कि संपत्ति को मनमाने ढंग से न छीना जाए। न्यायालय ने शक्तियों के पृथक्करण की भी पुष्टि की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कार्यपालिका दोष निर्धारित करने या तोड़फोड़ करने में न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती। यह निर्णय बुलडोजर से तोड़फोड़ की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बाद आया है, जिसके बारे में आलोचकों का तर्क है कि यह हाशिए पर पड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को असंगत रूप से प्रभावित करती है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तोड़फोड़ कानूनी रूप से की जाए न कि अतिरिक्त कानूनी दंड के रूप में।

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Samiksha Somvanshi

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