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बेहद अनोखी और अजीब है इस ट्राइब की परंपरा, उत्सव में पीते है गाय का खून, मृतकों के शवों को दफनाते नहीं है

09:56 AM Sep 27, 2023 IST | Khushboo Sharma
बेहद अनोखी और अजीब है इस ट्राइब की परंपरा  उत्सव में पीते है गाय का खून  मृतकों के शवों को दफनाते नहीं है

भले ही दुनिया काफी आगे बढ़ गई हो, लेकिन कई जनजातियाँ आज भी पारंपरिक जीवन जी रही हैं। कभी-कभी यह विश्वास करना नामुमकिन सा जा होता है कि कोई ऐसा कर सकता है क्योंकि उनकी संस्कृति ही इतनी अजीब और अनोखी होती है।

मसाई जनजाति एक ऐसी ही जनजाति का उदाहरण है जो भूमि को सुरक्षित रखने के लिए अपने मृत सदस्यों को दफनाती नहीं है। ये गाय का खून चूसकर पीते हैं।

खानाबदोश जिंदगी जीते है लोग

मसाई जनजाति अफ्रीका में मसाई मारा, सेरेनगेटी और अंबोसेली जैसे पार्कों के करीब पाई जा सकती है। ये लोग हजारों सालों से अस्तित्व में रहने के बावजूद अपना दैनिक जीवन परंपरा के तरीके से जीते हैं। उन्हें चरवाहों और योद्धाओं के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे जंगली रेगिस्तानी इलाकों में रहते हैं। दक्षिणी केन्या और उत्तरी तंजानिया में इनकी संख्या लगभग दस लाख के आस-पास मानी जाती है। अपने पशुओं को चरने के लिए नई चारागाहें देने के लिए, मसाई जनजाति के सदस्य खानाबदोश जिंदगी जीते हैं।

लोगों का अपना अलग है ड्रेस कोड

अपनी अनोखी संस्कृति के कारण मसाई जनजातियाँ बहुत फेमस हैं। वे अपने खुद के कानूनों और नियमों के तहत काम करते हैं। वे किसी भी सरकारी फैसले को नहीं मानते है। इस समुदाय में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को नेता या फिर मुखिया माना जाता है। फिर उसी मुखिया के फैसलों के आधार पर सभी लोग काम करते हैं। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि यहां के लोग एक ड्रेस कोड का भी पालन करते हैं ताकि उन्हें पहचानना आसान हो। शुका उस लाल कपड़े के लिए शब्द है जिसे हर कोई पहनता है। किसी प्रियजन के शव को न दफनाने की इस समुदाय की अनोखी परंपरा इसे अन्य आदिवासी समूहों से अलग करती है। इसके पीछे इनकी पवित्रता की भावना है। इस जनजाति के समुदाय के लोग सोचते हैं कि मृतकों को दफ़नाना ज़मीन के लिए ख़राब है। इसलिए निधन के बाद मृतकों के शव को बाहर खुले में ऐसे ही छोड़ दिया जाता है।

उत्सव में पीते है गाय का खून

एक और अनूठी विशेषता यह है कि उनके पास जानवरों और बच्चों की संख्या यह निर्धारित करती है कि उनके पास कितनी संपत्ति है। यह समुदाय जानवरों को बहुत अधिक महत्व देता है। अनोखा पहलू यह है कि अधिकांश लोगों के भोजन में मांस और दूध शामिल होते हैं। जब कोई जन्म या विवाह उत्सव होता है तो परिवार के सदस्य जानवरों का खून पीते हैं। खासकर की गाय का खून पिया जाता है। पहले गाय को तीर से मारने के बाद परिवार उसका खून चूसकर पीता है। गाय मर न जाए, इसका ख्याल रखा जाता है। ये लोग सोचते हैं कि ऐसा करने से इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो जाता है। नशा कम करने के लिए ये लोग अक्सर खून भी पीते हैं।

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Khushboo Sharma

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