Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

दुनिया ने सुनी देश की आवाज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी सरकार ने विदेशों में पाकिस्तान की पोल खोलने और…

05:02 AM Jun 12, 2025 IST | Aditya Chopra

ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी सरकार ने विदेशों में पाकिस्तान की पोल खोलने और…

ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी सरकार ने विदेशों में पाकिस्तान की पोल खोलने और राजनयिक संदेश पहुंचाने की जिम्मेदारी जिन सात प्रतिनिधिमंडलों को दी थी वह अपनी यात्रा पूरी कर वापिस लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन सभी प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात भी की। घरेलू राजनीति में प्रतिनिधिमंडलों में चुने गए सदस्यों को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी जमकर चला लेकिन इसके बावजूद प्रतिनिधियों ने बहुलवादी भारत की एकजुट छवि पेश की। पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान से इसके तार जुड़े होने से उपजे आक्रोश पर देश का नजरिया दुनिया में रखने के ​िलए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा गया था। 33 देशों को यह बात बताई गई कि भारतीय हमला स्टीक प्रकृति का था और इन हमलों में पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को ही निशाना बनाया गया है। भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने जो झूठा नैरेटिव गढ़ा, उसकी काट के लिए इन प्रतिनिधिमंडलों ने दुनियाभर में शक्तिशाली संदेश दिया। वह यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भारत के सभी दल एक हैं और आतंकवाद के खिलाफ भारत लड़ाई लड़ने को संकल्पबद्ध है। इन प्रतिनिधिमंडलों में ज्यादातर सांसद और कुछ पूर्व राजनयिक थे। लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर आैर अनुभवी कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी विदेश जाकर अपना धर्म निभाया। शशि थरूर हों, सलमान खुर्शीद हों, शिवसेना (उद्धव) की प्रियंका चतुर्वेदी हों, एनसीपी (शरद) की सुप्रिया सूले हों या एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल के अभिषेक बनर्जी जैसे नेता नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करते रहे हैं लेकिन इन सभी ने विदेशों में खड़े होकर ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की, बल्कि पाकिस्तान को नग्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

शशि थरूर ने न्यूयॉर्क में कहा- “मैं सरकार के लिए नहीं, विपक्ष के लिए काम करता हूं लेकिन पहलगाम के बाद जिस तरह सरकार ने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की, वह भारत की संप्रभुता की रक्षा का स्पष्ट प्रमाण है। आतंकवाद अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका जैसे देश को यह समझना होगा कि भारत भी 9/11 जैसा ही दर्द झेल रहा है और उसे वैसी ही निर्णायक एकजुटता की ज़रूरत है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधियों और अमेरिकी सांसदों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि “आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और पाकिस्तान उसका पालनहार।” आेवैसी ने मुस्लिम देशों की जमीन पर खड़े होकर पाकिस्तान के जेहादी तत्वों का पर्दाफाश किया और स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे मतभेद राजनीति तक हैं। देशहित में हम सब एक हैं। उन्होंने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में लाने के लिए बहरीन से सहयोग मांगते हुए कहा कि ‘‘हमारी नवविवाहिता महिलाओं को आतंकवाद ने विधवा बना दिया है। पाकिस्तान आतंकवादियों को ट्रेनिंग और पैसे दे रहा है, यह मानवता के विरुद्ध है।

ऐसे क्षण विरले ही आते हैं जब कोई राष्ट्र अपनी राजनीतिक सीमाओं को पार कर एक स्वर में बोलता है। इतिहास गवाह है कि 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी जब विदेश मंत्री बन यूएनजीए पहुंचे तो उनसे पूछा गया कि क्या वह इंदिरा गांधी की विदेश नीति की आलोचना करेंगे। जवाब में अटल जी ने कहा कि “इंदिरा गांधी से मेरा विरोध देश में है, विदेश में नहीं।” इसी तरह जब मोरारजी देसाई ने इंदिरा गांधी को अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने भेजा, तो उन्होंने कहा था- “यहां इंदिरा गांधी नहीं, भारत की आवाज बोल रही है।” 2025 में वह ऐतिहासिक लम्हा एक बार फिर दोहराया गया, जब विपक्ष और सत्ता, हिंदू और मुसलमान, दक्षिण और उत्तर-सभी एक स्वर में बोले कि भारत अब आतंकवाद नहीं सहेगा।

­भारत का इतिहास साक्षी है कि 1971 के युद्ध, 1998 का पोखरण परमाणुु परीक्षण, कारगिल युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के मौके पर राष्ट्र एकजुट रहा है। भारत-पाक संघर्ष विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अनर्गल बयानबाजी के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का अमेरिका पर फोक्स स्पष्ट था। प्रतिनिधिमंडल ने न्यूयार्क आैर वाशिंगटन का दौरा कर वहां के नेताओं को सख्त संदेश तो दिया ही साथ ही भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत कर यह संदेश दिया कि आतंकवाद अब सिर्फ सुरक्षा समस्या नहीं है। यह विदेश नीति का केन्द्र बिन्दु है। अगर पाकिस्तान ने फिर कोई हिमाकत की तो भारत उसे छोड़ेगा नहीं। गोली का जवाब गोलों से दिया जाएगा और हर वैश्विक मंच पर उसे कठघरे में खड़ा किया जाएगा। प्रतिनिधिमंडलों के लौटने पर राजनीतिक दल अपनी पार्टी की नीतियों के अनुसार सवाल उठा सकते हैं।

लोकतंत्र में सवाल उठाने का सबको अधिकार है। विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर मतभेद और असहमति कोई नई बात नहीं है। विदेश नीति को लेकर सवाल भाजपा भी उठाती रही है लेकिन कांग्रेस यह समझ ही नहीं पाई कि वे अपनी बात इस तरह रख सके कि पाकिस्तान या कोई अन्य देश उसका फायदा न उठा सके। भारत के आगे वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़े करने और चीन द्वारा परोक्ष रूप से पाकिस्तान की मदद करने के बाद चुनौतियां अब भी बरकरार हैं। राजनीति का अंतिम उद्देश्य भारत होना चाहिए। सत्ता तो आती-जाती रहती है। देश की सुरक्षा और सम्मान इसी में है कि सत्ता और विपक्ष की परम्परा को जीवित रखा जाए। हर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे पर भारत की आवाज एक हो। भले ही उनमें वैचारिक मतभेद हों। दुनिया ने भारत की सशक्त आवाज सुन ली है। यह राष्ट्र के लिए गौरव का विषय है।

Advertisement
Advertisement
Next Article