भारतीयों के दम पर चल रही दुनिया
भारत में बढ़ती बेरोजगारी के कारण बहुत से लोग विदेश जा रहे हैं, खासकर आकर्षक नौकरी, बेहतर वेतन और कौशल विकास के अवसरों की तलाश में। उच्च शिक्षित युवाओं के बीच भी यह प्रवृत्ति देखी जा रही है, क्योंकि उन्हें देश में अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती। कई शिक्षित युवा अपनी पढ़ाई के अनुसार सही नौकरी पाने में संघर्ष करते हैं जिससे वे विदेश में बेहतर अवसरों की तलाश करते हैं।
विदेश में नौकरी करना आमतौर पर कई कारणों से अंतर्राष्ट्रीय डिग्री का अगला चरण माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अनुभव, अधिक अवसर, विशाल रोज़गार बाज़ार, विदेशी मुद्रा में कमाई, उच्च वेतन पैकेज, ये कुछ कारण हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे शीर्ष विदेशी छात्र गंतव्य, सभी अपनी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दावा करते हैं और छात्रों को पेशेवर और व्यक्तिगत विकास के अवसर प्रदान करते हैं। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय नौकरी बाज़ार के आकर्षण और लाभों से इन्कार नहीं किया जा सकता लेकिन छात्र अक्सर करियर बनाने के लिए अपने देश की अनदेखी करते हैं। भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाएं एक फलते-फूलते बाज़ार, अन्वेषण के अवसर और एक सफल करियर बनाने की पेशकश करती हैं। हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के लोगों के पास शहर वालों से ज्यादा दौलत है। यह गांव भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे अमीर विलेज है। खास बात है कि यह गांव रेगिस्तान के करीब है। हम बात कर रहे हैं गुजरात में स्थित माधापर गांव की, जिसे एशिया का सबसे अमीर गांव कहा जाता है।
इस गांव में रहने वाले लोगों ने यहां स्थित 17 बैंकों में 7000 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इस गांव में रहने वाले परिवारों के ज्यादातर लोग विदेश में रहते हैं लेकिन अपना पैसा गांव के बैंकों में जमा करना पसंद करते हैं। माधापार गांव में मुख्य रूप से पटेल समुदाय के लोग रहते हैं। आज बात करेंगे उस भारत की जो दुनिया को चला रहा है। आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं (अमेरिका की किसी बड़ी टेक कंपनी में, यूरोप के किसी शोध संस्थान में, या अफ्रीका के किसी व्यापारिक सम्मेलन में या फिर कहीं और) एक चीज़ लगभग तय है। वहां कोई न कोई भारतीय अपनी बुद्धिमत्ता, मेहनत और नेतृत्व से सबका ध्यान खींचता हुआ आपको नजर आ ही जाएगा। जो ये बताता है कि भारत सिर्फ जनसंख्या या संस्कृति के कारण चर्चा में नहीं रहता, बल्कि आज भारत के लोग पूरी दुनिया में “गेम चेंजर” बन चुके हैं।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2025 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारतीय वर्कर्स ग्लोबल लेबर मॉबिलिटी के केंद्र में हैं, दुनिया आज भारत के टैलेंट पर भरोसा कर रही है। भारतीय अब सिर्फ मजदूर नहीं, बल्कि डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, रिसर्चर और आईटी प्रोफेशनल के रूप में दुनिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि 2023 में सबसे ज्यादा लोग अगर किसी एक देश से दुनिया के विकसित देशों में काम करने गए हैं तो वो हैं भारत के युवा और प्रोफेशनल्स। आज विश्व बैंक के प्रमुख एक भारतीय हैं। अजय बंगा, जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को दिशा दे रहे हैं। इनके अलावा कमला हैरिस, सुनीता विलियम्स, इंद्रा नूयी हर क्षेत्र में भारतीय महिलाओं ने भी इतिहास रचा है। सुंदर पिचाई, सत्या नडेला, अरविंद कृष्णा, शांतनु नारायण जैसे नाम आपने अक्सर सुने होंगे जो विदेशी धरती पर भारत का मान बढ़ा रहे हैं लेकिन इनके अलावा भी लाखों भारतीय लोग ऐसे में जो दुनिया को चलानें में अहम भूमिका निभा रहे हैं।अब माइग्रेशन सिर्फ लो-वेज जॉब्स के लिए नहीं, बल्कि स्किल्ड और सेमी-स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए हो रहा है और इसमें भारत सबसे आगे है। अकेले 2023 में ही छह लाख के करीब भारतीय ओईसीडी देशों में जॉब करने गए, जो उससे पिछले साल की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा था। इस तरह इन देशों में विदेशी वर्कर्स का सबसे ज्यादा सोर्स भारतीय ही रहे। इससे ये भी पता चलता है कि ग्लोबल माइग्रेशन भारत के नेतृत्व में स्किल और सेमी-स्किल प्रोफेशनल्स द्वारा संचालित है।
विदेश में डॉक्टर्स और नर्सों की जॉब करने के लिए जाने वाले लोगों में भारत टॉप तीन देशों में से एक है। 2021 और 2023 के बीच ओईसीडी देशों में कई प्रवासी डॉक्टर और एक तिहाई से अधिक प्रवासी नर्स एशिया से आए थे, जिसमें भारत का सबसे बड़ा योगदान था। कई युवा ग्रेजुएट, जो विदेश में पढ़ाई के बाद वहीं काम शुरू कर रहे हैं और अलग-अलग सैक्टर में खूब नाम कमा रहे हैं। ब्रिटेन का हेल्थ एंड केयर वर्कर वीजा और आयरलैंड का इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेजुएट ट्रेनिंग इनिशिएटिव जैसे प्रोग्राम की वजह से भारतीयों को विदेश में आसानी से हैल्थकेयर सैक्टर में जॉब मिल रही है। भारतीय टेक वर्कर्स भी दुनिया के कई देशों में जॉब कर रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और यूरोप के बाकी देशों में भी भारतीय टेक वर्कर्स का बोलबाला है। टेक सैक्टर में भारतीय सबसे ज्यादा आगे हैं। आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर को स्किल वर्कर्स की जरूरत है और इस वक्त भारत ये सप्लाई कर रहा है। मिडिल ईस्ट में तो भारतीय वर्कर्स सबसे ज्यादा जॉब कर रहे हैं, जहां वे कंस्ट्रक्शन से लेकर हैल्थकेयर में सेवाएं दे रहे हैं।
हालांकि जहां ये अच्छी बात है कि भारत के लोग विदेश में नाम और पैसा कमाने में सबसे आगे हैं। वहीं इसका दूसरा पहलू ये भी है कि भारत का टैलेंट आखिर क्यों विदेशों के काम आ रहा है। भारत के काम क्यों नहीं। जहां भारत के लोग बाहर जाकर विदेश में हैल्थ सैक्टर को मजबूत कर रहे हैं वहां भारत में हैल्थ सैक्टर की क्या स्थिित है ये किसी से छिपी नहीं है। कहीं एक भी डॉक्टर नहीं तो कहीं एक ही डॉक्टर सब कुछ देख रहा है, भारत का युवा आज विदेश में जा कर टेक एक्सपर्ट बन रहा हैं लेकिन भारत में उसे नाम नहीं मिल पा रहा। क्या आपको लगता है कि तेजी से बदलता लाइफस्टाइल, बेहतर सैलरी की चाह और हर हाथ को पसंद का काम, भारत में रोजगार के मौकों की कमी एक बड़ी वजह हो सकती है कि यहां के लोग विदेश में जाकर काम कर रहे हैं, कमेंट कर जरूर बताएं।

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