महाकुंभ 2025 में आकर्षण का केंद्र बनेगा विश्व का सबसे बड़ा 52 फीट लंबा और चौड़ा महामृत्युंजय यंत्र
प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ का शुभारंभ सोमवार, 13 जनवरी से हो रहा है…
प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ का शुभारंभ सोमवार, 13 जनवरी से हो रहा है। दुनिया को त्याग- समर्पण के जरिए मानव उत्थान का संदेश देने वाले महाकुंभ में जनकल्याण का अनुष्ठान किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण *52 फीट लंबा, चौड़ा और ऊंचा महामृत्युंजय यंत्र* होगा।
– संगम पर विश्व का पहला महामृत्युंजय यंत्र
विश्व का सबसे बड़ा महामृत्युंजय यंत्र 2025 में प्रयागराज की पावन धरा पर स्थापित होने जा रहा है। इस अद्वितीय यंत्र को *52 अक्षरों* के आधार पर आकार दिया गया है। यंत्र की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई 52 फीट रखी गई है, जो 52 शक्तिपीठों का प्रतीक है। प्रकांड विद्वानों द्वारा इस यंत्र को महामृत्युंजय मंत्रों से अभिमंत्रित किया गया है।
यह यंत्र केवल भौतिक संरचना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का संचार करना है। इसे एक अलौकिक अनुभव देने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
– आयोजन के प्रमुख बिंदु
1. *आध्यात्मिक और सामाजिक पहल*:
महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य मानव उत्थान और जनकल्याण है। आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री के आवाहन के तहत यहां पर लाखों की संख्या में थैले बांटे जाएंगे,ताकि पवित्र स्थल पर गंदगी न हो।
2. *सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व*:
भारत और दुनिया भर से संत-महात्मा और श्रद्धालु इस अद्भुत आयोजन के साक्षी बनने आ रहे हैं। लगभग 40-45 लाख श्रद्धालुओं के संगम में स्नान करने की संभावना है।
3. *महामृत्युंजय यंत्र का महत्व*:
– यह यंत्र 52 शक्तिपीठों का प्रतीक है।
– इसे महामृत्युंजय मंत्रों से अभिमंत्रित किया गया है।
– यह न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा, बल्कि विश्व में सकारात्मक ऊर्जा का संदेश भी फैलाएगा।
महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का अनुपम उदाहरण है। यह आयोजन दुनिया को मानवता, समर्पण और स्वच्छता का महत्वपूर्ण संदेश देगा।
‘महाकुंभ-2025’ की तैयारियां युद्ध स्तर पर
उल्लेखनीय है कि सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन ‘महाकुंभ-2025’ की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। आगामी 13 जनवरी (सोमवार) से शुरू हो रहे महाकुंभ में अब कुछ समय ही बचा है। इस बड़े धार्मिक आयोजन में करीब 40 से 45 लाख लोगों के आस्था की डुबकी लगाने का अनुमान लगाया जा रहा है।