तरनतारन के आधा दर्जन परिवारिक सदस्यों के अपहरण करके मुठभेड़ मामले में अदालत ने खाकी वर्दीधारी पुलिस मुलाजिमों को सुनाई 10-10 साल की सज़ा
90 के दशक में पंजाब पुलिस द्वारा कई मामलों में निर्दोष-निरीह जनता को बेवजह मौत के घाट उतार दिया था।
02:38 PM Jan 09, 2020 IST | Shera Rajput
लुधियाना- एसएएस नगर : 90 के दशक में पंजाब पुलिस द्वारा कई मामलों में निर्दोष-निरीह जनता को बेवजह मौत के घाट उतार दिया था। उसी सिलसिले में आतंकवाद के काले दौर के दौरान 1992 में पंजाब पुलिस द्वारा सीमावर्ती इलाके तरनतारन के प्रसिद्ध कारसेवक बाबा के नाम से विख्यात बाबा चरण सिंह समेत एक ही परिवार के 6 सदस्यों जिनमें केसर सिंह, मेजा सिंह, गुरदेव सिंह, गुरमेज सिंह और बलविंद्र सिंह का अपहरण करने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दोषी कर्मचारियों को सजा सुनाई गई है।
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इसी मामले में खाकी वर्दीधारियों ने फर्जी पुलिस मुकाबला दिखाते हुए और शवों को हरिके पत्तन दरिया में बहाने पर सीबीआइ की विशेष अदालत ने छह पुलिस मुलाजिमों को सजा सुनाई है, जबकि तीन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। फैसले के बाद पीडि़त परिवार का कहना है कि वह फिर हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
अदालत ने इंसपेक्टर सूबा सिंह को 2 केसों में दो केसों में 10-10 साल की कैद , सब इंस्पेक्टर विक्रम जीत सिंह को एक केस में 10 साल सजा, एएसआइ सुखदेव राज जोशी को दो केसों में 5-5 साल सजा सुनाई है वही अदालत ने एएसआइ सूबा सिंह और हवालदार लखा सिंह अपनी नेकचाल-चलनी की शर्त पर 50-50 हजार रूपए के जमानती मुचलके पर रिहा कर दिया। हालांकि उक्त सभी आरोपित अब रिटायर हो चुके हैं।
पंजाब में आतंकवाद के दौर के डिप्टी गुरमीत सिंह रंधावा जो अब रिटायर हो चुके है, के अलावा एसपी कश्मीर सिंह गिल, जो इस समय एआइजी काउंटर इंटेलीजेंस पटियाला व एएसआइ निर्मल सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
– सुनीलराय कामरेड
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