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सुक्खन लाल जैसे भी होते हैं राम भक्त ... जय श्री राम

01:44 AM Jan 31, 2024 IST | Kiran Chopra
सुक्खन लाल जैसे भी होते हैं राम भक्त     जय श्री राम

जब से राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई है, रोज नए-नए तरह के भक्त और उनका जोश, लगन सामने आती है। हमने 10 पंक्तियां भी मांगी तो लोग उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और हमें आखिरी तारीख भी बढ़ानी पड़ रही है। क्योंकि पाठकों की डिमांड है, हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के फेसबुक पर भी सभी अपनी वीडियो भेजकर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सभी अलग-अलग ढंग से अपनी भावनाएं प्रगट कर रहे हैं।
पिछले दिनों से हमने जो जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक सेवा, एक मिशन फंड आरम्भ किया हुआ है उस पर सुक्खन लाल जैन नामक व्यक्ति का 6100, फिर 5100 रुपए आए, फिर 5100 रुपए आए और साथ में बड़ा-बड़ा लिखा हुआ था। अक्सर 2-3 लाइनों से ज्यादा नहीं लिखते। क्योंकि लोग किसी खुशी या गम के अवसर पर भेजते हैं तो मैंने अपनी पीए से पूछा इतना बड़ा क्यों लिखा है तो उसने बताया कि ये वो व्यक्ति है जिन्होंने राम आंदोलन में भाग लिया और फिर सहारनपुर जेल में बंद रहे। उन्होंने अशोक सिंघल जी के साथ काम किया। फिर उन्होंने प्रण लिया जितने दिन राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक वो अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे और उन्होंने जब राम मंदिर का चबूतरा बना तब शेव कराई। राम मंदिर की कारसेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वाह! क्या रामभक्ति है।
वो एक सच्चे राम भक्त हैं, क्योंकि वह उनकी हर शिक्षा का पालन भी कर रहे हैं। वो सिर्फ राम मंदिर के बनने तक सीमित नहीं। उन्होंने अपने गांव और आसपास के मंदिरों को ठीक करवाया। अपने गांव की सड़क बनवाई। यही नहीं कोरोना समय में 300 लोगों को फ्री में राशन और दूध बांटा। वे अपने परिवार के साथ ब्रह्मïपुरी में रहते हैं। 4 बेटे हैं, 9 पोते-पोतियां हैं। सारा परिवार खुशी-खुशी सुक्खन लाल जैन के दिखाए हुए मार्ग पर चलते हुए लोगों की सेवा कर रहा है। सुक्खन लाल जैन जी 80 वर्ष के होने वाले हैं और जब मैंने उनके बेटे से बात की तो वह बड़ी खुशी से बता रहे थे कि अब उनके पिता जी की इच्छा है वह बुजुर्गों के लिए काम करें, उनकी सेवा करें और हम उनकी हर इच्छा पूरी करना चाहते हैं।
वाह! क्या बात है ब्रह्मïपुरी के जैन डेयरी परिवार पर मुझे बड़ा गर्व महसूस हो रहा है कि आज की दुनिया में भी सुक्खन लाल जैन जैसे रामभक्त हैं जो सिर्फ बोलने से ही नहीं परन्तु तन-मन-धन, कर्म, वचन से रामभक्त हैं। ऐसी भक्ति को मैं तो सार्थक मानती हूं जो दूसरों की सेवा करके की जाए। सच्ची भक्ति तो दूसरों की सेवा में ही है और राम भक्ति, यानि मर्यादा पुरुषोत्तम राम भक्ति तो हमें यही सीखाती है जो राम जी दूसरों के लिए जिये, कर्म किये। प्रजा के लिए क्या कुछ नहीं किया। चलो आओ हम सब भी सुक्खन लाल जैन जी से असली रामभक्ति सीखें।
जय श्रीराम। द्य

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