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भारत के इन प्रसिद्ध मंदिरों में आज भी महिलाओं के जाने पर है प्रतिबंध

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसा हिंदू धर्म में कहते हैं। इस मंत्र का मतलब होता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहीं पर देवताओं का वास होता है।

01:13 PM Nov 18, 2019 IST | Desk Team

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसा हिंदू धर्म में कहते हैं। इस मंत्र का मतलब होता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहीं पर देवताओं का वास होता है।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसा हिंदू धर्म में कहते हैं। इस मंत्र का मतलब होता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहीं पर देवताओं का वास होता है। हालांकि भारत में ऐसी कई जगह हैं जहां भगवान के घर मंदिरों में महिलाओं का जाना मना है। भारत के सबरीमाला मंदिर के साथ कई ऐसी भी मंदिर हैं जहां पर महिलाओं को जाने नहीं दिया जाता है। उनके जाने की वहां पर पाबंदी है। चलिए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-
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शनि शिंगणापुर मंदिर, अहमदनगर, महाराष्ट्र
महिलाओं का इस मंदिर में प्रवेश करना बैन है। ऐसा कहते हैं कि शनिदेव खतरनाक तंरग महिलाओं के निकट जाने से छोड़ना शुरु कर देते हैं। लगभग 500 साल से महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर रही हैं। 
कार्तिकेय मंदिर, पिहोवा, हरियाणा

इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय की स्‍थापना हुइ है और वह ब्रह्मचारी हैं। इसी वजह से महिलाओं का इस मंदिर में आना बैन है। महिलाओं को श्राप का भय दिखाकर उन्हें इस मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। 
घटई देवी मंदिर, सतारा, महाराष्ट्र
महिलाएं इस मंदिर में भी प्रवेश नहीं कर सकती हैं। वैसे तो मंदिर के बाहर जो महिलाओं के प्रवेश न करने का बोर्ड था उसे हटा दिया गया है लेकन उसके बाद भी मंदिर में जाने से महिलाओं को रोकते हैं। 

कीर्तन घर, बरपेटा सत्र, बरपेटा, असम

असम के बरपेटा में यह मंदिर स्थित है यहा पर भी महिलाओं के जाना वर्जित है। यह मंदिर एक वैष्‍णव मठ है। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी इस मंदिर में जाने से मना किया गया था। 
मंगल चांडी मंदिर, बोकारो, झारखंड

इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करनी की अनुमति 100 फीट की दूरी पर है। ऐसा कहा जाता है कि महिलाएं 100 फीट के घेरे के अंदर प्रवेश करती हैं तो उनपर कोई बड़ी समस्या आ सकती है। 
मावली माता मंदिर, धमतरी, छत्तीसगढ़

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि मंदिर के एक पुजारी  को एक बार रात में सपना आया था कि महिलाएं देवता को नहीं पसंद हैं। इसी वजह से मंदिर में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। 
बिमला माता मंदिर, पुरी, ओडिशा

इस मंदिर की मान्यता है कि काली मां के अवतार के रूप में महिलाओं को देखा जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर के बिमला माता मंदिर में जब दुर्गा पूजा होती है तो महिलाओं के 16 दिनों तक जाने पर प्रतिबंध लगा होता है। 
कामाख्या देवी, कामाख्या, असम

इस मंदिर में महिलाओं का आना उस दौरान मना होता है जब उन्हें पीरियड्स होते हैं। वैसे तो रजस्वला खुद यहां की देवी हैं। लेकिन मंदिर में रजस्वला महिलाओं के जाने पर वर्जित है। 
अवधूत देवी मंदिर, कोवलम, केरल

इस मंदिर के बाहर नीले रंग का बोर्ड है और उस पर लिखा है कि मंदिर में प्रवेश मासिक धर्म के दौरान करना मना है। ऐसा करना संस्कृति के खिलाफ होता है। 
सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर, पथानामथिट्टा, केरल

देवता अयप्पा के बारे में कहते हैं कि वह ब्रह्मचारी हैं। यही वजह है कि इस मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं का जाना वर्जित है। इस मंदिर में महिलाओं के जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिए हैं उसके बाद भी उनका जाना वर्जित है। 
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