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लोक कलाओं की परंपराओं को संरक्षित करने की जरूरत : मिश्रा

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने आधुनिकता के शोरगुल में लोक कलाओं की हमारी परम्पराओं को बचाए रखने की जरूरत बताते हुए लोक कलाओं की पीढ़ दर पीढ़ चली आ रही विरासत को समय संदर्भों के साथ संरक्षित और विकसित करने का आह्वान किया है।

03:28 PM Aug 20, 2022 IST | Desk Team

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने आधुनिकता के शोरगुल में लोक कलाओं की हमारी परम्पराओं को बचाए रखने की जरूरत बताते हुए लोक कलाओं की पीढ़ दर पीढ़ चली आ रही विरासत को समय संदर्भों के साथ संरक्षित और विकसित करने का आह्वान किया है।

लोक कलाओं की परंपराओं को संरक्षित करने की जरूरत   मिश्रा
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने आधुनिकता के शोरगुल में लोक कलाओं की हमारी परम्पराओं को बचाए रखने की जरूरत बताते हुए लोक कलाओं की पीढ़ दर पीढ़ चली आ रही विरासत को समय संदर्भों के साथ संरक्षित और विकसित करने का आह्वान किया है।
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श्री मिश्र आज यहां राजभवन में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, द्वारा आयोजित ‘कला संवाद’ कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे यहां शास्त्रीय नृत्य और संगीत के घराने हैं, उसी तरह राजस्थान में लोक कलाओं के घराने हैं। इन घरानों ने राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ दर पीढ़ सहेजकर रखा है। उन्होंने ऐसे कलाकारों को सरकार और समाज द्वारा मिलकर सहयोग करने और सांस्कृतिक विरासत के दस्तावेजीकरण के लिए भी मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
कला का प्रभावी रूप में दस्तावेजीकरण भी किया जाना चाहिए
उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्यता के अस्तित्व और सांस्कृतिक अस्मिता की जब भी बात की जाती है तो सबसे पहले कलाओं के लोक स्वरूपों पर ही विचार किया जाता है। उन्होंने अल्लाह जिलाई बाई और उनकी मांड राग की चर्चा करते हुए कहा कि विदेशों तक ‘पधारो म्हारे देश’ के जरिए राजस्थान की लोक संस्कृति उस महान कलाकार के जरिए ही पहुंची।उन्होंने राजस्थान की ढोली, मिरासी, दमामी, लंगे, मांगणियार, कालबेलिया आदि जातियों और उनके कला योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इनकी कला का प्रभावी रूप में दस्तावेजीकरण भी किया जाना चाहिए।
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भारत की दूसरी कलाओं के मेल से अपने आपको समृद्ध और संपन्न किया
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, के अध्यक्ष डॉ। विनय सहह्मबुद्धे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि राजस्थान के राजभवन से लोक कलाकारों से संवाद की पहल की गयी है। उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद का प्रयास है कि सुदूर देशों तक भारतीय कलाओं के जरिए हमारी संस्कृति का प्रसार हो। उन्होंने देश के तंतु वाद्यों की परम्परा को विदेशों में भी संरक्षित किए जाने और इनके लिए वातावरण निर्माण के लिए कलाकारों के सहयोग का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि राजस्थान के लोक कलाकारों ने पूरे भारत की दूसरी कलाओं के मेल से अपने आपको समृद्ध और संपन्न किया है।
कार्यक्रम का संयोजन प्रख्यात कलाकार अनवर हुसैन ने किया
इस अवसर पर राज्यपाल और डॉ। सहह्मबुद्धे ने लोक कलाकारों से एक-एक कर संवाद भी किया और उनकी कलाओं तथा योगदान के साथ भविष्य की योजनाओं तथा सहयोग पर चर्चा की। सुप्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती बेगम बतूल ने गणेष वंदना करने के साथ ही ‘पधारो म्हारे देश’ की सुमधुर प्रस्तुति दी। उनके साथ बाद में वहां उपस्थित मांगणियार, लंगा, सपेरा समुदाय के कलाकारों ने भी स्वर मिलाते हुए लोक का सामुहिक स्वर-उजास बिखेरा। कार्यक्रम का संयोजन प्रख्यात कलाकार अनवर हुसैन ने किया।
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