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राफेल सौदे में हुआ है बड़ा भ्रष्टाचार, मोदी सरकार को देनी पड़ेगी सफाई : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के राफेल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, इसलिए खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सफाई देनी चाहिए।

02:39 PM Apr 05, 2021 IST | Ujjwal Jain

कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के राफेल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, इसलिए खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सफाई देनी चाहिए।

राफेल सौदे में हुआ है बड़ा भ्रष्टाचार  मोदी सरकार को देनी पड़ेगी सफाई   कांग्रेस
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कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के राफेल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, इसलिए खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सफाई देनी चाहिए।
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कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फ्रांस के समाचार माध्यम मीडियापार्ट ने दावा किया है कि 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ। इस समझौते के बाद इस खरीद में बिचौलिया का काम करने वाली भारत की एक कंपनी को दलाली के तौर पर 10 लाख यूरो का भुगतान किया गया।
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उन्होंने कहा कि राफेल सौदे में दलाली का खुलासा तब हुआ जब फ्रांस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया। इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर मीडियापार्ट ने अपनी खबर में दावा किया है कि 2016 में राफेल विमान सौदे से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी की तरफ से ‘उपहार’ स्वरूप यह राशि भारत के एक बिचौलिया को दी गयी थी।
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 23 सितम्बर 2016 में ऑडिट से पता चला कि कंपनी ने 10 लाख यूरो का भुगतान किया और उसे उपहार बताया गया। उसके बाद 30 मार्च 2017 को राफेल कंपनी ने एक बयान में कहा था कि उसने यह पैसा राफेल का मॉडल बनाने के लिए दिया था। सवाल यह है कि जो कंपनी खुद विमान बनाती है तो उसने भारत की कंपनी को मॉडल बनाने का आदेश क्यों दिया और इस राशि को उपहार क्यों कहा गया।
सुरजेवाला ने इसे गोपनीय लेन-देन करार दिया और सवाल किया कि क्या जिस राशि को बिचौलियों को देने की बात की जा रही है, क्या यह पैसा सचमुच भारतीय दलाल को दिया गया। रक्षा सौदे में हुए इस खुलासे से क्या सरकार स्वीकार करेगी कि दलाली ली गयी है। उनका कहना था कि यदि यह घोटाला हुआ है तो क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिस कंपनी को यह पैसा दिये जाने की बात है, भारत की वह कंपनी मॉडल नहीं बनाती है। अगर पैसा दिया भी गया है तो उसे उपहार क्यों कहा गया। उन्होंने कहा कि इस रक्षा सौदे में देश के खजाने को नुकसान पहुंचाने का काम हुआ है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे में जो आरोप लगा रहे थे, वे सही साबित हुए हैं और सरकार इस मामले में अब लीपापोती कर बच नहीं सकती है।
प्रवक्ता ने एक सवाल पर कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पहले से ही संदिग्ध दी और इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। वह एक कागज का पुलिंदा बन कर रह गया है। कैग की रिपोर्ट से लगता है कि उसने सरकार को बचाने का पूरा प्रयास किया है। उसकी रिपोर्ट से कई तथ्य हटाए गये हैं। इस मामले में क्या हुआ कैग, सरकार, रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कुछ बताने को तैयार ही नहीं थे और अब जब रिपोर्ट सामने आ गयी है तो सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए और श्री मोदी को देश को स्थिति बतानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मामले की समग्रता से जांच होनी चाहिए। उनका कहना था कि रक्षा सौदा और इसमें विमान आदि की कीमत गोपनीय होती है और उनकी पार्टी सरकार से यह हिसाब भी नहीं मांग रही है लेकिन इस मामले में जो खुलासा हुआ है, उसकी बारीकी से जांच होना जरूरी है। इस मामले में असलियत क्या है, यह तथ्य देश के सामने आना चाहिए और खुद प्रधानमंत्री को इस संबंध में देश को जवाब देना चाहिए।
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