महिलाओं के हाथों में चूड़ियां पहनने का ये है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
महिलाओं के श्रृंगारों में से एक चूड़ियां भी होती हैं। चूड़ियां महिलाओं के हाथों में होने से उनके सुहागिन होने की निशानी होती है। महिलाएं हाथों में चूड़ियां वैदिक युग से पहनती आ रही हैं।
07:23 AM Dec 09, 2019 IST | Desk Team
महिलाओं के श्रृंगारों में से एक चूड़ियां भी होती हैं। चूड़ियां महिलाओं के हाथों में होने से उनके सुहागिन होने की निशानी होती है। महिलाएं हाथों में चूड़ियां वैदिक युग से पहनती आ रही हैं। इसी वजह से देवियों की तस्वीरों और मर्तियों में उनके हाथों में चूड़ियां दिखाई गई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं धार्मिक और वैज्ञानिक कारण चूड़ियां पहनने के पीछे है। चलिए जानते हैं इन कारणों के बारे में।
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ये है धार्मिक कारण चूड़ियां पहनने का
दुर्गा माता का 16 श्रृंगार उनकी पूजा के दौरान किया जाता है। चूड़ियां भी माता के सोलह श्रृंगार में अहम होती हैं। इतना ही नहीं पुण्य की प्राप्ति चूड़ियों को दान करने से होती है। महिलाएं हरी चूड़ियां दान करती हैं तो बुध देव की कृपा उन पर बनी रहती है।
ये है वैज्ञानिक कारण चुड़ियां पहनने का
वैज्ञानिक में बताया गया है कि महिलाओं का स्वास्थ्य चूड़ियां पहनने से अच्छा रहता है। दरअसल जिस धातु से चूड़ियां बनाई जाती हैं वह महिलाओं के स्वास्थ्य पर सही प्रभाव डालते हैं। इसका यह मतलब होता है कि महिलाओं के चूड़ियां पहनने से धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी होते हैं। चलिए जानते हैं चूड़ियां पहनने के वैज्ञानिक फायदे-
हाथ में घर्षण चूड़ियां करती है जिससे रक्त संचार हाथों का बढ़ जाता है।
सांस के रोग और दिल की बीमारी की संभावनाओं को भी हाथों में चूड़ियां पहनने से बचाव होता है।
मानसिक संतुलन को भी चूड़ियां अच्छा करती हैं। यही वजह है कि अपने कामों को महिलाएं बहुत निष्ठा भाव से करती हैं।
विज्ञान में बताया गया है कि ऊर्जा को भी चूड़ियों का घर्षण बनाए रखता है। साथ ही चूड़ियां थकान को भी दूर करती हैं।
विज्ञान में कहा गया है कि हाथों में कांच की चूड़ियां पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दरअसल हाथों में जब कांच की चूड़ियां टकराती हैं तो उनसे निकलने वाली ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा जो वातावरण में होती है वह नष्ट हो जाती है।
एक्यूपंचर पॉइंट्स कलाई के नीचे से लेकर 6 इंच तक होते हैं जिनके दबने से शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान हमेशा रहता है।
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