For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

मुख्तार अंसारी समेत उत्तर प्रदेश में 5 सालों के अंदर इन बड़े गैंगस्टरों का हुआ सफाया

04:17 PM Mar 29, 2024 IST | Yogita Tyagi
मुख्तार अंसारी समेत उत्तर प्रदेश में 5 सालों के अंदर इन बड़े गैंगस्टरों का हुआ सफाया

गुरुवार रात माफिया मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मुख़्तार अंसारी का नाम बड़े गैंगस्टर्स की लिस्ट में आता है वह हत्या, लूट, डकैती के 65 मामलों में आरोपी रहा था। 30 जून, 1963 को उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में जन्में मुख्तार अंसारी ने अपराध की गलियों से लेकर सत्ता के गलियारों तक का सफर किया। मुख़्तार अंसारी ने 1980 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा। 1990 के दशक में संगठित अपराध में उसकी भागीदारी बढ़ गई, खासकर मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर जैसे जिलों में। वह कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों में फैले ठेकेदारी के धंधे को लेकर ज्यादातर ब्रिजेश सिंह के साथ भयंकर प्रतिद्वंद्विता में उलझकर अंडरवर्ल्ड में एक उल्लेखनीय व्यक्ति बन गया। साल 2002 में उसके काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें उसके तीन मददगार मारे गए थे। ये तो बात रही मुख़्तार अंसारी से जुड़ी हुई। लेकिन यदि ध्यान दिया जाए तो पिछले पांच वर्षों में न सिर्फ मुख़्तार अंसारी बल्कि उसके जैसे एक दर्जन से भी ज्यादा गैंगस्टर या तो मारे गए या फिर उन्हें जेल हो गई इसमें कई गैंगस्टर ऐसे भी हैं जिनका एनकाउंटर हो गया। यह कहना भी ठीक होगा कि, उत्तर प्रदेश में पिछले पांच सालों में माफिया लगभग खत्म ही हो गया है। उत्तर प्रदेश में अब तक जिन बड़े गैंगस्टर्स का एनकाउंटर हुआ है या जो किसी अन्य वजह से मारे गए हैं उनमें मुख़्तार अंसारी समेत विकास दूबे, मुन्ना बजरंगी, अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ का नाम शामिल है। लेख में हम आपको इन सभी बड़े गैंगस्टर्स की मौत की कहानी सुनाने वाले हैं।

  • गुरुवार रात माफिया मुख्तार अंसारी की इलाज के दौरान मौत हो गई
  • मुख़्तार अंसारी का नाम बड़े गैंगस्टर्स की लिस्ट में आता है
  • मुख़्तार अंसारी ने 1980 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा
  • 9 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश के उज्जैन से विकास दुबे को गिरफ्तार किया

मुख़्तार अंसारी की कैसे हुई मौत?

जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने 60 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह मुख्तार अहमद अंसारी के पोते थे, जो स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। अंसारी राजनीति में आए और 1996 से मऊ से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कुछ लोगों ने अंसारी में रॉबिन हुड की छवि देखी, तो अन्य ने उसे आपराधिक गतिविधियों में लगे रहने वाले के रूप में देखा। अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान वह बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़ा रहा। उसे ‘गरीबों के मसीहा’ के रूप में चित्रित किया गया था और बाद में बसपा छोड़कर उसने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल का गठन किया। अप्रैल 2023 में उसे भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई। मार्च 2024 में उसे फर्जी हथियार लाइसेंस रखने के मामले में उम्रकैद की सजा मिली।

विकास दुबे का हुआ एनकाउंटर

9 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश के उज्जैन से विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद 10 जुलाई 2020 को वह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। विकास दुबे का पुलिस ने उस समय एनकाउंटर कर दिया था जब पुलिस उसे उज्जैन से पकड़कर उत्तर प्रदेश वापस लेकर जा रही थी और उस दौरान उसने भागने की कोशिश की थी। गैंगस्टर विकास दुबे ने बिकरू गांव को पूरी तरह अपने कब्जे में लिया हुआ था कहने को वह उसका एक अड्डा था। यह बड़ा गैंगस्टर लूट, डकैती, हत्या, अपहरण जैसे कई संगीन अपराधों में शामिल रहा था लेकिन राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण विकास दुबे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। साल 2020 में पुलिस ने गांव में छापा मारा जिसमें कई पुलिस घायल और मारे गए जिसके बाद पुलिस ने उसे उज्जैन से गिरफ्तार किया और गिरफ्त से भागने के दौरान वह एनकाउंटर में मारा गया।

ऐसे खत्म हुआ अतिक अहमद का साम्राज्य

उत्तर प्रदेश में माफिया अतीक अहमद का नाम गूंजता था। अपराध की दुनिया में अतीक अहमद का नाम नंबर वन पर रहता था सालों तक अतीक अहमद के नाम से बच्चा-बच्चा डरता रहता था। लेकिन एक समय के बाद उसका साम्राज्य खत्म होने की कगार पर आ गया और उसका इतना बुरा समय आ गया की उसके साथ-साथ उसका पुरा परिवार ही खत्म हो गया। दरअसल उसके पतन की शुरुआत 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिम सीट से तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद शुरू हो गई। इस हत्या के आरोप में माफिया अतीक अहमद और उसके अशरफ समेत 9 लोग घेरे में आए। इस हत्या मामले को 12 साल निकल गए जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए। उसमें एक गवाह उमेश पाल खड़ा हुआ। अतीक अहमद ने उस गवाह को भी अपने बेटे द्वारा मरवा दिया गया इसमें भी नाम सामने आये। इस हत्या के बाद अतीक के करीबियों पर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया। उसकी 1100 करोड़ की अवैध सम्पति जब्त की गई। 28 मार्च को पहली बार 100 से अधिक मुकदमों में अतीक को गिरफ्तार किया गया। जिसके पश्चात उसके बेटे का पुलिस ने एनकाउंटर किया, जिससे अतीक अहमद पूरी तरह टूट गया था उसकी बीवी भी फरार चल रही थी और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद प्रयागराज में ही 15 अप्रैल को काल्विन अस्पताल के बाहर मिडिया का रूप धारण करके आये तीन युवकों ने पुलिस के सामने अतीक और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर की थी।

मुन्ना बजरंगी का ऐसे हुआ अंत

मात्र 17 साल में मुन्ना बजरंगी ने अपराध की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। सबसे पहला मामला उसके खिलाफ हत्या और डकैती का दर्ज हुआ था जिसके बाद अपराध की दुनिया में उसका नाम बढ़ता चला गया। 1993 में दिन दहाड़े भाजपा नेता राम चन्द्र सिंह और उनके सरकारी गनर अब्दुल्लाह समेत तीन लोगों के मर्डर में मुन्ना बजरंगी अपराधी घोषित हुआ। इसके बाद तो उसने न जाने कितने ही मर्डर किये और कितने अपराधों में वह लिप्त रहा। जिसके बाद 9 जुलाई 2018 को बागपत जिला जेल में मुन्ना बजरंगी को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया
था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला था कि मुन्ना बजरंगी के शरीर में 12 गोलियां लगी थीं। मुन्ना बजरंगी के शरीर पर कई जगह चोट के निशान भी सामने आये थे।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Yogita Tyagi

View all posts

Hello, I'm Yogita Tyagi your wordsmith at Punjab Kesari Digital. Simplifying politics and health in Hindi, one story at a time. Let's make news easy and fun.

Advertisement
×