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इन बच्चों ने शुरू की अनोखी पहल, कई बेसहारा बच्चों के पेट हॉस्टल के बचे हुए खाने से भरते हैं

अक्सर देखा गया है जब भी कुछ गलत होता है तो इसी समाज के ठेकेदार कहे जाने वाले लोग बड़ी-बड़ी बातें कर जाते हैं। लेकिन जब बात इसे सुधारने की आती है

11:25 AM Sep 12, 2019 IST | Desk Team

अक्सर देखा गया है जब भी कुछ गलत होता है तो इसी समाज के ठेकेदार कहे जाने वाले लोग बड़ी-बड़ी बातें कर जाते हैं। लेकिन जब बात इसे सुधारने की आती है

अक्सर देखा गया है जब भी कुछ गलत होता है तो इसी समाज के ठेकेदार कहे जाने वाले लोग बड़ी-बड़ी बातें कर जाते हैं। लेकिन जब बात इसे सुधारने की आती है तो यही लोग सबसे पीछे मिलते हैं। इसी समाज के ऐसे पांच बच्चे हैं जो ऐसा नेक काम कर रहे हैं जिसे देखकर हम सभी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
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12वीं कक्षा के पांच छात्र सिद्धर्थ संतोष, वरुण दुरई, निखिल दीपक, सौरव संजीव और कुशाग्र सेठी ने एक नेक काम का बेड़ा उठाया है। जब भी 12वीं कक्षा की बात आती है तो बच्चे हर जगह से मन हटाकर अपना पूरा ध्यान पढ़ाई की तरफ लगा लेते हैं ताकि वह आगे कुछ बन सकें। लेकिन इन बच्चों ने अपनी पढ़ाई के साथ अनाथ बच्चों का पेट भरने का बेड़ा उठाया है। 
बता दें कि यह बच्चे लगभग 800 किलो का खान बचाते हैं और उसे अनाथ बच्चों को खिलाते हैं ताकि खाना भी बर्बाद ना हो और ना ही अनाथ बच्चे भूखे रहें। खबरों की मानें तो Waste Nought की एक पहल यह बच्चे चला रहे हैं। स्कूल के हॉस्टलों में जितना खाना बचता है उन सभी को इकट्ठा करते हैं और अनाथालय जाकर बच्चों का पेट भरते हैं। ऐसा वह इसलिए करते हैं ताकि उन बच्चों केे अच्छा और पौष्टिक आहार मिल सके। 
इन बच्चों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि शुरुआत में जब हमने ध्यान दिया तो पता चला कि हॉस्टलों का ज्यादातर खाना बच जाता है और वह वेस्ट होता है। इसके बाद इन सभी बच्चों ने रिसर्च की और पता चला कि हर रोज लगभग 7 हजार से ज्‍यादा लोग भारत में भूख की वजह से मर जाते हैं। 
इन आंकड़ों को देखकर जितना आप चौंकने हैं उतना ही ये बच्चे भी चौंक गए थे। इन बच्चों को यह चिंता हुई भारत में जहां इतनी संख्या में लोग भूख की वजह से मर रहे हैं वहीं पर खाने की बर्बादी भी बड़ी मात्रा में हो रही है। अब इन पांचों दोस्तों ने सोचा कि इस खाने को बर्बादी से बचाना होगा। 
इन बच्चों ने कई एनजीओ से बातचीत की उसके बाद बेंगलुरु के बत्तराहल्ली में श्री कृष्‍णाश्रय एजुकेशनल ट्रस्ट के बारे में इन्हें पता चला। इन पांचों दोस्तों ने तय किया कि जो खाना बच जाता है वह इसी ट्रस्ट के अनाथ बच्चों को देंगे ताकि उन्हें पूरा पोष्‍ण मिल सके। 
5 से 18 साल के 30 बच्चे इस अनाथालय में हैं जिसमें 27 लड़के और 3 लड़कियां हैं। हर शनिवार को यह बच्चे अपनी स्‍कूल कैंटीन से बच्चा हुआ खाना पैक करा के इस अनाथालय में ले जाते हैं। इसी खाने से इस अनाथालय के बच्चों का पेट भरते हैं। 
सबसे खास बात यह है कि यह पांचों बच्चे पहले इस खाने को चखते हैं उसके बाद अनाथालय के सभी बच्चों को खिलाते हैं। इन बच्चों के इस नेक कदम से हम सबको कुछ सीखने की जरूरत है। बता दें कि अब वह शहर के बाकि अनाथालय में भी खाना भेजने की योजना बना रहे हैं। 
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