AAP के इस विधायक ने उमर सरकार से वापस लिया समर्थन, बोले- अब बहुत हो गया
आप विधायक का उमर सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आप विधायक मेहराज मलिक ने उमर अब्दुल्ला सरकार से समर्थन वापस लिया, जिससे क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता देने का संदेश दिया। हालांकि, सरकार पर इसका असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कांग्रेस का समर्थन जारी है।
जम्मू- कश्मीर में राजनीतिक हलचल पैदा हो गई है। आम आदमी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। जम्मू-कश्मीर के एकमात्र आप विधायक ने मेहराज मलिक सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने अपने इस फैसले को लेने के पीछे की वजह भी बताई है। उन्होंने समर्थन वापस लेने का कारण अपने क्षेत्र के लोगों का हित बताया है। हालांकि आप विधायक के जाने से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि अब्दुल्ला सरकार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है।
क्या बोले मलिक?
मेहराज मलिक ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “मैं, डोडा से विधायक मेहराज मलिक, सरकार गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) से अपना समर्थन वापस लेता हूं। यह फैसला जम्मू-कश्मीर के अपने लोगों के सर्वोत्तम हित में लिया गया है, जिनका विश्वास और कल्याण हमेशा मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी।” समर्थन वापस लेने की पोस्ट से पहले मेहराज मलिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि “बस बहुत हो गया, सरकार के 9 महीने। आने वाले दिनों में बड़ा फैसला लिया जाएगा। जवाबदेह होने का समय है। कार्रवाई करने का समय है।”
हाल ही में सुर्खियों में रहे थे मलिक
जम्मू-कश्मीर की डोडा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। हाल के दिनों में उन पर एक सरकारी महिला डॉक्टर को धमकाने का आरोप लगा था। इसके बाद महिला की शिकायत पर विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। समर्थन वापसी के पीछे भी इसी मामले को माना जा रहा है। हालांकि, इस पर अब तक किसी ने खुलकर बात नहीं की है।
जानिए जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक समीकरण
2024 में साल हुए विधानसभा चुनाव में मलिक ने डोडा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के गजय सिंह राणा को 4,538 वोटों से हराया था, जिससे वह जम्मू-कश्मीर से आप के पहले और एकमात्र विजयी उम्मीदवार बन गए थे। उन्हें इसी साल 21 मार्च को आप का प्रदेश अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं। कुल मिलाकर सरकार 48 विधायकों के समर्थन से चल रही है। यानी बहुमत से 2 ज्यादा आप विधायकों का समर्थन मिलने के बाद भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
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