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रात में मजदूरी कर दिन में पढ़ा ये बच्चा, आजादी के बाद पहली बार बारबंकी में किसी ने पास की 10वीं

रामकेवल की मेहनत ने गांव में शिक्षा की अलख जगाई

08:50 AM May 06, 2025 IST | Neha Singh

रामकेवल की मेहनत ने गांव में शिक्षा की अलख जगाई

रात में मजदूरी कर दिन में पढ़ा ये बच्चा  आजादी के बाद पहली बार बारबंकी में किसी ने पास की 10वीं

रामकेवल ने बाराबंकी के निजामपुर गांव में इतिहास रचा, जब उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास की। गरीबी में भी उन्होंने रात में मजदूरी करके पढ़ाई की। उनके इस साहसिक कदम से गांव में शिक्षा की अलख जगी। डीएम शशांक त्रिपाठी ने उन्हें सम्मानित किया और आगे की पढ़ाई निशुल्क कराने का ऐलान किया।

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जहां चाह होती है, वहीं राह होती है। इस कहावत को यूपी के बाराबंकी में रहने वाले रामकेवल ने सच करके दिखाया है। रामकेवल की पढ़ने की चाहत ने गरीबी में भी उसे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। रामकेवल वो लड़का है जिसने शादी बारत में रात-रात भर लाइट्स सिर पर ढोई और अगली सुबह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए स्कूल पहुंचा। सभी तरह की सुख सुविधाएं मिलने के बाद तो हर कोई परीक्षा पास कर सकता है, लेकिन रामकेवल ने बिना किसी सुविधा के, केवल मन में चाहत के साथ पढाई की और 10वीं की परीक्षा पास की। रामकेवल ने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि अपने गांव में हाई स्कूल पास करने वाला पहला बच्चा भी बना। आजादी के बाद बाराबंकी में किसी ने हाई स्कूल पास नहीं किया। इसलिए रामकेवल की उपलब्धि और भी खास हो जाती है।

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आजादी के बाद पहली बार किसी ने पास की 10वीं

रामकेवल के इतिहास रचने के बाद उनका परिवार बेहद खुश है। रामकेवल की मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। रामकेवल बाराबंकी जिले के निजामपुर मजरे अहमदपुर गांव के निवासी हैं। आजादी के 77 साल बाद तक इस गांव में कोई भी व्यक्ति हाईस्कूल पास नहीं कर पाया था। 2025 में रामकेवल ने यह रिकॉर्ड तोड़ते हुए हाईस्कूल की परीक्षा पास की। इसके बाद डीएम शशांक त्रिपाठी ने युवक को सम्मानित करते हुए कहा, रामकेवल ने न सिर्फ परीक्षा पास की है, बल्कि गांव में शिक्षा की अलख भी जगाई है। डीएम ने रामकेवल की आगे की पढ़ाई को निशुल्क करने का ऐलान किया है।

मां ने मेहनत कर पढ़ाया

रामकेवल के पिता जगदीश प्रसाद अनपढ़ हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने की ठानी। रामकेवल की मां प्राथमिक विद्यालय में रसोइया हैं, जिन्होंने आठवीं कक्षा पास करने के बाद बेटे का एडमिशन जीआईसी अहमदपुर में कराया। पुष्पा ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल में रसोइया बनकर जो पैसे कमाए, उससे बेटे की फीस भरी। पुष्पा ने बताया कि बचपन में वह अपने भाई को दीये की रोशनी में पढ़ते हुए देखती थी।

‘स्कूल में बच्चे चिढ़ाते थे’

छात्र रामकेवल ने रोते हुए बताया कि जब वह स्कूल जाता था तो बच्चे चिढ़ाते थे कि “तुम्हारे गांव से आज तक कोई हाईस्कूल पास नहीं हुआ, तुम भी पास नहीं हो पाओगे।” इसके बाद उसने मन ही मन ठान लिया कि वह हाईस्कूल पास करके अपना और अपने गांव का मान बढ़ाएगा। उसने रोड लाइट पर रात में मजदूरी करते हुए भी पढ़ाई पर ध्यान दिया और इतिहास बदल दिया।

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Neha Singh

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