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यह सम्मान मेरा नहीं, आप सबका है

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12:06 AM Oct 15, 2017 IST | Desk Team

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9 अक्तूबर को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब को राष्ट्रीय वयोश्रेष्ठ सम्मान-2017 मुझे प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चन्द गहलोत, उनकी ज्वाइंट सैक्रेटरी और सारी मिनिस्ट्री ने खूब मेहनत और स्टडी की लग रही थी क्योंकि केरल, कर्नाटक, कोलकाता, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब और मध्य प्रदेश के उज्जैन आदि देश के अलग-अलग कोनों से लोग अपनी सेवाओं के लिए चुने गए थे। कई लोग ऐसे भी थे जो नहीं रहे या चलने में असमर्थ थे, उनके बच्चों ने आकर अवार्ड लिए। इन लोगों से मिलकर मुझे बड़ा आनन्द आया। खासकर केमोन्वेरी कुनिरमान नायर और बी. शंकरराय से जिनसे खड़ा भी मुश्किल से हुआ जा रहा था परन्तु उनका जज्बा और जोश देखकर मेरे भी हौसले बुलन्द हो रहे थे।

असल में यह सम्मान मेरा नहीं, हम सबका है और आप सबका है। इसका सारा श्रेय मैं अपने सारे देश में विभिन्न राज्यों की 23 ब्रांचों के मुखियों को और ऑफिस के वालंटियर को देती हूं जो नि:स्वार्थ सेवा-भाव से मेरे साथ मिलकर टीम वर्क से काम करते हैं और उसके बाद देश के सारे बुजुर्गों को, अनुभवी लोगों को, जिन्होंने इस नेक काम को समझा और मेरा साथ दिया। असल मैं मेरा असली अवार्ड तो इन बुजुर्गों के चेहरों पर जो मुस्कान आती है, खुशियां होती हैं, आत्मविश्वास भरता है वही है मेरा सम्मान। मुझे अगर कोई कहता है कि आपको यह या वो अवार्ड मिलना चाहिए तो मैं हमेशा कहती हूं मेरा असली अवार्ड है जो सबके चेहरों पर खुशियां देखकर मिलता है, आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों की सहायता करके या सम्पन्न लोगों से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अडाप्ट कराकर या डिप्रेशन में घिरे बुजुर्ग को डिप्रेशन से बाहर निकालकर या ऐसे लोगों की इच्छाएं पूरी कर जिन्होंने सारी उम्र मेहनत की और कई इच्छाएं अधूरी रह गईं। यह इन लोगों को अपने परिवारों से जोड़कर या इनको एक्टर, डांसर, शायर, कवि, लेखक बनाकर या इनको अपनी पुस्तकों-आशीर्वाद, जीवन संध्या, जिन्दगी का सफर, अनुभव, ब्लैशिंग्स में उतार कर या इनको दुबई, वृन्दावन, अक्षरधाम की सैर करवाकर।

परन्तु इस बार मेरी पीए राधिका, ममता और कम्पनी के उप कार्यकारिणी अध्यक्ष श्री भूषण जैन ने अपनी जिद से इस अवार्ड के लिए आवेदन फार्म भरा और परन्तु जब मुझे अवार्ड मिला तो मुझे भी इसकी इतनी अहमियत पता चली जो आप सबसे शेयर करना चाहूंगी। पहले तो हमारी अनुभव की प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती आदर्श विज ने कहा कि किरण अवार्ड लेने जाओगी तो सूट मेरी तरफ से पहनना, क्या प्यार और भावना है। एक तो देश के कोने-कोने से जहां हमारी अखबार पहुंचती है, बुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं की बधाई आई और उनको इतनी खुशी थी कि मैं बयान नहीं कर सकती। दूसरा इसका डीडी नेशनल पर लाइव टेलिकास्ट पर हजारों वीडियो लोगों ने मुझे बनाकर भेजीं और सबसे अधिक उस समय अच्छा लगा जब राष्ट्रपति जी ने अश्विनी जी को मंच पर कहा-अरे सांसद साहब आप…। आपके लेख तो मैं रोज पढ़ता हूं और मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। दूसरा उन्होंने मुझे भी कहा कि मैं आपके लेख भी पढ़ता हूं, बहुत अच्छा लिखती हैं और आपका काम भी मैं देखता हूं। मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। हमारे देश के राष्ट्रपति आम और खास व्यक्ति और अखबार का कितना ज्ञान रखते हैं।

साथ में मुझे वो दिन याद आ रहे थे कि जब मैंने लगभग 15 वर्ष पूर्व यह काम शुरू किया था तो लोगों को यह एक मजाक लगा था कि बुजुर्गों के लिए क्या काम हो सकता है। घर में एक बुजुर्ग नहीं सम्भाला जाता, कैसे करोगी। बहुत सहेलियों ने यह सलाह दी कि बच्चों और लड़कियों के लिए काम करो, खुशियां मिलेंगी। यह बहुत हताशाजनक काम है। वाकई जब बुजुर्ग आपसे आशीर्वादों और प्यार से जुड़ जाते हैं और भगवान को प्यारे हो जाते हैं तो बड़ा दु:ख होता है। इनके साथ काम करने के लिए धैर्यशीलता, सहनशक्ति और दिल बड़ा चाहिए परन्तु मैंने अपनी सारी टीम के साथ इस मुश्किल काम को न केवल सफलतापूर्वक किया बल्कि इस चुनौती को स्वीकार करके दिखाया। हर ब्रांच हैड में भी उतनी ही धैर्यशीलता और नि:स्वार्थ भावना है, जितनी मेरे में है या उससे भी अधिक। इस अवार्ड से लोगों में यह भावना आएगी कि बुजुर्गों के काम को भी राष्ट्र सम्मान देता है और सरकार इसे स्वीकार करती है।

ये पुरस्कार केन्द्र सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सजगता और उनका समाज में विधिसम्मत स्थान सशक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। दूसरा उन लोगों को उत्साहित करते हैं जो बुजुर्गों के लिए मन से कुछ करना चाहते हैं क्योंकि अक्सर लोगों का मानना है कि ये आज हैं कल नहीं होंगे, आपकी सेवा को कौन जानेगा। अगर बच्चों और लड़कियों के लिए काम करोगे तो आने वाले युग में भी लोग आपकी सेवा को जानेंगे। क्योंकि मैं चौपाल द्वारा बेटियों का काम भी करती हूं परंतु वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब द्वारा बुजुर्गों के लिए मदद और आर्थिक सहायता के लिए बहुत कम लोग आगे आते हैं। उनको लगता है ये लोग तो अपनी उम्र बिता चुके हैं, इनको अब मदद की क्या जरूरत है और बेटियों की मदद और बच्चों की मदद को पुण्य का कार्य मानते हैं। मैं मानती हूं सारी सेवाएं अपने आपमें महत्वपूर्ण हैं परन्तु बुजुर्गों की नि:स्वार्थ सेवा सबसे बड़ा यज्ञ है, पुण्य का कार्य है। आशीर्वादों की बौछार मिलती है जो अमूल्य है। उनमें आत्मविश्वास भरना कि वे किसी से कम नहीं, वे जिन्दगी के हर पल को जीएं। वे कदमों की धूल नहीं माथे की शान हैं। मैं धन्यवाद और मुबारकबाद देती हूं सामाजिक, न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को जिन्होंने मुझे, मेरी टीम को इस काम को करने के लिए उत्साहित किया और लोगों को प्रेरणा दी। माननीय राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री थावरचन्द गहलोत ने कहा कि बुजुर्गों की सेवा हमारी भारतीय संस्कृति और परम्परा है।
आओ चलें उनके साथ,
जिन्होंने हमें चलना सिखाया।

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