यह पाकिस्तान नहीं आतंकिस्तान है
बड़े खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि इस्लाम को लगातार बट्टा लगाते और मुस्लिमों की…
बड़े खेद के साथ बताना पड़ रहा है कि इस्लाम को लगातार बट्टा लगाते और मुस्लिमों की छवि, बिगाड़ते पाकिस्तानियों के लिए हज 2025 के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं, जिसका मुख्य कारण है, विदेशों में जाकर भीख मांगने की आदत। इसके अतिरिक्त आम तौर से, अल्लाह, अल्लाह और इस्लाम का रट्टा लगाने वाले पाकिस्तानी, तबीयत और मिजाज से मक्कार और चालबाज होते हैं वैसे कुछ ईमानदार लोग भी बसते हैं, पाकिस्तान में, जैसा कि व्हाट्सअप से पता चलता है, जो कहते हैं कि जहां भारत चांद पर पहुंच गया, वहां पाकिस्तान अपने आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में घुसपैठ का नाकाम यत्न कर रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि जबतक पाकिस्तान में मोदी जैसा दमदार प्रधानमंत्री नहीं आएगा, पाकिस्तान के हाथ में कटोरा ही रहेगा। यह बिल्कुल सच्ची बात है, क्योंकि पिछले सात दशकों में पाकिस्तान ने भारत से केवल रंजिशें और दुश्मनी ही निभाई है। जब नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में सभी पड़ोसी देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को बुलाया था तो उसमें, उस समय के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, नवाज़ शरीफ़ भी थे, जिन्होंने बगल में छुरी, मुंह में राम को सार्थक करते हुए, कश्मीर में उड़ी आतंकवादी घटना अंजाम दे दी। इस प्रकार की मानसिकता, इन्सान की तो नहीं, शैतान की होती है। विभाजन से पूर्व, भारत-पाकिस्तान, एक ही मां के दो बेटे थे, जिन्हें, धार्मिक विद्वेष के चलते विभाजित कर दिया गया। यदि पाकिस्तान भारत को एक वरिष्ठ पड़ोसी देश और बड़ा भाई मानता, तो आज इस अंधे कुएं के गर्त में नहीं धंसता !
लाहौर में मनी एक्सचेंजर का काम करने वाले एक धोखेबाज ने एक भारतीय से नोट पहले ले लिए और फिर हिसाब-किताब लगाकर बोला कि देखिए भाई साहब, यूं तो हम सबसे ज्यादा रेट देते हैं, मगर हमें भी तो अपने बच्चों को पालना है! यह कहकर उसने मार्केट रेट से 4000 हजार कम दिए। वहां यह गोरखधंधा आम बात है इसलिए वहां एक्सचेंज करने वाले यूं ही लूटते हैं क्योंकि उन्हीं की पुलिस, उन्हीं की अदालतें और उन्हीं का सब कुछ है और वैसे भी पाकिस्तानी मुसलमान भारतीय मुसलमानों को तुच्छ और हीन समझते हैं। दुबई में भी यही हालत है। वहां भी देखने में आया कि किसी न किसी जुगाड़ से ये लोग पाकिस्तान से यहां आ जाते हैं, और इन्हें कोई काम भी नहीं मिलता, क्योंकि इनके वीजा में इसकी इजाज़त नहीं। वे यहां पहुंच तो जाते हैं, मगर, अल्लाह रहम करे, सबके आगे हाथ फैलाते हैं तो कोई सखी या ग़नी तो इनके हाथ पर दया करके, इनके हाथ पर कुछ रख देता है, जिससे इनका काम चल जाता है।
सऊदी अरब, जिसे ये अपनी बपौती मानकर चलते हैं, वहां भी ऐसी ही दुर्दशा है। वैसे दुबई में भोजन बहुत महंगा है। यही हाल कतर, कुवैत कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में भी है। इसके अतिरिक्त, इन में से कुछ ऑस्ट्रेलिया में असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं। वास्तव में सऊदी अरब ने पाकिस्तान के हज प्रत्याशियों पर इसलिए प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि यह देश आतंकवाद की गोद में चला गया है, जैसे हमने पहलगाम और इससे पूर्व छत्तीसों बार कश्मीर में इसे आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया है। भारतीय प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी की जब-जब सऊदी राष्ट्राध्यक्ष, राजकुमार सलमान से भेंट होती है तो कई मुद्दों, जैसे, टेक्नोलॉजी, विज्ञान, कारोबार आदि पर फोकस होता है। वे वहां शाहबाज और नवाज़ शरीफ़ की तरह भीख का कशकोल लेकर नहीं जाते! वैसे सभी पाठक इस बात को देख चुके होंगे कि जब पहली बार मोदी जी, सऊदी अरब गए थे तो प्रिंस सलमान ने उन्हें सर्वोच्च वैदिक ग्रंथ, रामायण का अरबी में अनुवाद करा कर अपने पंडित द्वारा सर के ऊपर बड़े अदब के साथ पेश किया था। यही नहीं, सऊदी अरब का सर्वोच्च सम्मान भी उन्हें भेंट किया गया था।
और हां, लाहौर और कराची से ट्रेनें खून से लथपथ आती थीं और भारत से लाहौर जाने वाली ट्रेनों में मुस्लिमों को काट दिया जाता। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लाहौर वाली ट्रेनों में मुस्लिम इस लिए जाते थे कि उनकी सोच थी कि पाकिस्तान उनके लिए जन्नत होगा, मगर हर स्टेशन पर पंजाब तक दंगाई ट्रेन में घुस कर पुरुषों को काट डालते थे और महिलाओं का बलात्कार करते या कमसिन लड़कियों को ट्रेन के डिब्बे से घसीट कर, अपने साथ ले जाते। ठीक यही दरिंदगी पाकिस्तान से भारत आने वाली ट्रेनों में भी हुआ करती थी। बड़े भयावह सीन हुआ करते थे वह विश्व के इतिहास का सबसे हृदय विदारक विभाजन था यह! आज भी पाकिस्तान को समझा नहीं आई है, और वह स्वयं अपनी लंका जला रहा है।