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One Nation-One Election : केंद्रीय एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव की सराहना की। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, इसकी बहुत जरूरत थी और यह पहले ही हो जाना चाहिए था, लेकिन यह अब हो रहा है, इसके लिए मैं भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं।
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बता दें कि इससे पहले, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से अपने मौजूदा कार्यकाल में 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' की अवधारणा को लागू करने के इरादे पर सवाल उठाया और पूछा कि वह विभिन्न राजनीतिक दलों को इस सुझाव पर कैसे साथ लाएगी, जिसके व्यापक निहितार्थ हैं और जिसके बारे में कई सवाल हैं।
उन्होंने कहा, जब उन्होंने यह मुद्दा उठाया था, तब उनके पास (केंद्र के पास) पूर्ण बहुमत था। इसका उद्देश्य क्या था? एक मिसाल कायम करना। यह संघीय ढांचा है। विविधता में एकता, यही भारत है। वे सभी को साथ कैसे लाएंगे? हमारे राज्य में चुनाव है, लेकिन अन्य राज्यों में नहीं। मान लीजिए कि मेरी सरकार गिर गई और फिर वे अगले चुनाव तक राष्ट्रपति शासन लगा देंगे। इसके पीछे क्या उद्देश्य है? आप किसे बेवकूफ बना रहे हैं? फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री हैं।
सूत्रों ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार उस एजेंडे पर काम करना जारी रखेगी जिसका वादा 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार पीएम के रूप में शपथ लेते समय किया था और वह एक साथ आम और विधानसभा चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने कहा कि सरकार के इस कार्यकाल में एक राष्ट्र-एक चुनाव एक वास्तविकता बन जाएगा और भाजपा को अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे होने से ठीक पहले आई है। 9 जून को शपथ लेने वाले पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के पांच दिन बाद शपथ ली थी। एक राष्ट्र एक चुनाव भाजपा के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में प्रमुख वादों में से एक रहा है। इस साल लाल किले पर अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान भी प्रधानमंत्री ने सभी से एक साथ चुनाव कानून के लिए एक साथ आने का अनुरोध किया था।