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जानिए इस इंजीनियर की दास्तां जिसने ठेला लगाने के लिए छोड़ दी नौकरी

हम में से ज्यादातर लोग पहले स्कूल में पढ़ाई करते हैं। फिर किसी कोर्स में दाखिला लेते हैं ताकि हमें एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए।

10:54 AM Jun 11, 2019 IST | Desk Team

हम में से ज्यादातर लोग पहले स्कूल में पढ़ाई करते हैं। फिर किसी कोर्स में दाखिला लेते हैं ताकि हमें एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए।

हम में से ज्यादातर लोग पहले स्कूल में पढ़ाई करते हैं। फिर किसी कोर्स में दाखिला लेते हैं ताकि हमें एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए। वहीं मां-बाप भी अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ते और लाखों रुपए पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं। लेकिन आप ही सोचिए कि अगर कोई अच्छी खासी नौकरी छोडऩे के बाद भी ठेला ही लगाए तो। चौकिंए मत। क्योंकि यह वाकया तमिलनाडु में सच में हुआ है। यहां पर एक शख्स जिनकी उम्र 18 साल और नाम जैसुंदर है। इन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स व संचार इंजीनियरिंग डिप्लोमा लेने के बाद दो शीर्ष कंपनियों की नौकरी खुद से छोड़ी है। 
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आखिर ऐसा क्यों किया

तमिलनाडु के सी.जैसुंदर करूर जिले में रहते हैं। उन्होंने दो कंपनियों से इसलिए नौकरी छोड़ दी क्योंकि वो तमिलनाडु के करूर में फूड एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे। हाल ही में जैसुंदर बर्मी व्यंजन को बेचने और कई सारे मशहूर स्नैक्स को बनाने के  लिए एक ठेला लगा रहे हैं। जैसुंदर ने बताया कि ये एक सचेत विकल्प था और मुझे अपने व्यवसाय करने में कोई शर्म नहीं है। किसी भी ईमानदार काम करने वाले व्यक्ति को शर्मिदा नहीं होना चाहिए। जो काम आज मैं कर रहा हूं हमारे देश के कई शीर्ष नेताओं ने उससे कहीं ज्यादा पुरुषवादी काम किया था और वह अपनी कड़ी मेहनत और लगन से आज शीर्ष पदों पर पहुंच गए हैं। 

ये सब कुछ कैसे हुआ

दरअसल जैसुंदर पहले चेन्नई में एक मल्टीनेशनल टेलीफोन कंपनी में काम करते थे। यहां के भोजन से लेकर किराए के खर्चे जैसी चीजों ने उन्हें ये नौकरी छोडऩे पर पूरी तरह से मजबूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने कंपनी चेंज कि और वो प्रिंट कंपनी में नौकरी करने के लिए चले गए। वहीं जैसुंदर के अनुसार उनका एक दोस्त जिसका नाम मधु है वो भोजनालय चलाता था। मधु ने जैसुंदर को भी खाना बनाना सिखाया था।
 वहीं अब वो घर पर ही अपनी मां के साथ व्यंजन बनाते हैं। सबसे पहले तो उन्होंने वेलायुथमपालयम में अपने स्नैक्स को बेचना शुरू किया। लेकिन उन्हें सामान के चक्कर में बार-बार करूर आना-जाना पड़ता था। ऐसे में फिर उनके दोस्त गोली ने उन्हें करूर में अपनी जूस के स्टाल के पास में ही ठेला लगाने की मंजूरी दे दी। 
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