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अयोध्या में इस बार दीपावली को जलाए जाएंगे 14 लाख दीये, तेजी से घूम रहे कुम्हारों के चाक

अयोध्या में दीपावली को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं। कुम्हारों ने दीया बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। भगवान राम की पवित्र नगरी अयोध्या के आसपास के गांवों में कुम्हारों के चाक इन दिनों बहुत तेजी से घूम रहे हैं। वजह है, महज दो महीनों बाद सरयू नदी के किनारों पर आयोजित होने वाले ‘दीपोत्सव’ के लिए 14 लाख मिट्टी के दीये तैयार करने की लगन।

03:00 PM Aug 24, 2022 IST | Desk Team

अयोध्या में दीपावली को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं। कुम्हारों ने दीया बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। भगवान राम की पवित्र नगरी अयोध्या के आसपास के गांवों में कुम्हारों के चाक इन दिनों बहुत तेजी से घूम रहे हैं। वजह है, महज दो महीनों बाद सरयू नदी के किनारों पर आयोजित होने वाले ‘दीपोत्सव’ के लिए 14 लाख मिट्टी के दीये तैयार करने की लगन।

अयोध्या में दीपावली को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं। कुम्हारों ने दीया बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। भगवान राम की पवित्र नगरी अयोध्या के आसपास के गांवों में कुम्हारों के चाक इन दिनों बहुत तेजी से घूम रहे हैं। वजह है, महज दो महीनों बाद सरयू नदी के किनारों पर आयोजित होने वाले ‘दीपोत्सव’ के लिए 14 लाख मिट्टी के दीये तैयार करने की लगन। 
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2019  में दीयों की संख्या बढ़कर चार लाख 10 हजार 
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार हर साल दीपावली से एक दिन पहले आयोजित होने वाले दीपोत्सव समारोह को प्रायोजित करती है। इसमें पवित्र सरयू नदी के दोनों किनारों पर लाखों दीये जगमगाते हैं। यह दृश्य बेहद भव्य और रमणीय होता है। अयोध्या में यह परंपरा प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वर्ष 2017 में डाली थी और इसकी शुरुआत 51 हजार दीयों से हुई थी। वर्ष 2019 में इन दीयों की संख्या बढ़कर चार लाख 10 हजार हो गई थी। 
इस बार प्रज्जवलित किए जाएंगे 14 लाख दीपक  
वर्ष 2020 में यह संख्या छह लाख थी और 2021 में यह नौ लाख से ज्यादा होकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना गई। इस बार 23 अक्टूबर को आयोजित होने वाले दीपोत्सव में 14 लाख दीये प्रज्ज्वलित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे में अयोध्या के आसपास के गांवों के कुम्हारों का काम बहुत बढ़ गया है और वे बहुत बड़े आर्डर मिलने की उम्मीद में दिन रात चाक घुमा रहे हैं। जयसिंहपुर गांव के राजू भी इन्हीं में शामिल हैं। राजू ने पिछले साल सिर्फ 15-20 दिन पहले ही मिले 21 हजार दीयों के आर्डर को सफलतापूर्वक पूरा किया था।
इस बार बेहतर दाम मिलने की उम्मीद 
राजू ने बातचीत में कहा है कि इस बार मैं कोई जोखिम नहीं लेना चाहता इसलिए हम अभी से काम कर रहे हैं। रोजाना दीये बनाकर उन्हें स्टोर में रख रहे हैं। इस बार उम्मीद है कि हम 40-50 हजार दीये बनाकर दे देंगे। उम्मीद है कि इस बार हमें बेहतर दाम भी मिलेंगे। राजू ने कहा कि पिछले साल हमें एक रुपये प्रति दीये की दर से भुगतान मिला था लेकिन इस बार दाम बढ़ गए हैं इसलिए मैं समझता हूं कि हमें डेढ़ रुपया प्रति दिया मांगना चाहिए। हर चीज महंगी हो गई है तो हमारा दिया भी महंगा है। दूसरे कुम्हारों की तरह राजू भी बिचौलिए के जरिए दीया बेचते हैं क्योंकि इससे उन्हें बिना किसी झंझट के तुरंत भुगतान मिल जाता है।
दीपोत्सव ने बदली चीजें 
बचपन से ही कुम्हार का काम कर रहे 60 वर्षीय पंचराम प्रजापति ने कहा कि पहले दीये की बिक्री बहुत कम होती थी क्योंकि लोग सिर्फ दीपावली में पूजा के लिए ही दीये खरीदते थे और वे फैंसी इलेक्ट्रिक बल्ब से अपने घरों में रोशनी करना पसंद करते थे, मगर दीपोत्सव ने चीजों को बदल दिया है। कुम्हार राजेश कुमार प्रजापति ने दावा किया कि लगभग 40 कुम्हार परिवारों वाले जयसिंहपुर गांव से पिछले साल लगभग छह लाख दीयों की आपूर्ति की गई थी। प्रजापति ने कहा कि वह अभी कुल्हड़ बना रहे हैं। वह दीये बनाने का काम भी पहले ही शुरू कर रहे हैं। पिछले साल उन्हें एक रुपए 20 पैसे प्रति दीये की दर से भुगतान हुआ था। उन्हें उम्मीद है कि इस बार कम से कम डेढ़ रुपए प्रति दीया मिलेगा क्योंकि डीजल से लेकर अनाज तक सब कुछ महंगा हो गया है।
अयोध्या में पिछले सालों में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, राज्य सरकार की तरफ से दीपोत्सव का कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इसके नोडल अफसर प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वह पूर्व में हुए दीपोत्सव की समीक्षा कर रहे हैं ताकि इस बार इसे और बेहतर ढंग से आयोजित किया जा सके। उन्होंने बताया, इस बार दीपोत्सव के दौरान 14 लाख दिए प्रज्ज्वलित करने का लक्ष्य रखा गया है। हमने इस सिलसिले में सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है और दीये खरीदने के लिए ई-निविदा मांगी जाएगी। सिंह ने कहा, हम विभिन्न विद्यालयों और विभागों से स्वयंसेवक जुटाने पर भी काम कर रहे हैं। 
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