For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

सुदृढ़ इकोनॉमी के लिए समयबद्ध निर्णय जरूरी

भारत इस समय जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन…

04:09 AM Jun 20, 2025 IST | Editorial

भारत इस समय जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन…

सुदृढ़ इकोनॉमी के लिए समयबद्ध निर्णय जरूरी

वैश्विक स्तर पर एक ऐतिहासिक विकास के अन्तर्गत आईएमएफ के अनुसार, भारत इस समय जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह अगले 2-3 वर्षों में जर्मनी को पीछे छोड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा। उस समय यह केवल अमेरिका और चीन से पीछे होगा। अगर देखा जाये तो यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है कि जो देश सदियों से गुलाम चला आ रहा था और केवल 80 वर्ष पूर्व आजाद हुआ था, आज इस स्थिति में पहुंच गया है। इस त्वरित विकास को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि देश के उद्योग, सेवायें और कृषि क्षेत्र में तेजी से विकास हो और सरकारी तंत्र और नियामक (रेगूलेटरी संस्थाओं) में शीघ्र और समयबद्ध निर्णय लिए जायें ताकि आर्थिक विकास के ईंजन तेजी से काम करें और भारत जल्दी शीर्ष स्तर की ओर अग्रसर हो।

ध्यान रखने योग्य है कि विकास की सीढ़ी पर हमारा अगला मुकाबला तब दूसरे नम्बर पर स्थित चीन से होगा, जो मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं। 1990 में भारत और चीन आर्थिक दृष्टि से चीन के लगभग बराबर था, उस समय भारत की प्रति व्यक्ति आय 367 डॉलर प्रतिवर्ष थी जबकि चीन की 317 डॉलर ही थी परन्तु उसके बाद चीन बहुत तेजी से विकास की राह पर दौड़ने लगा और भारत विकसित तो हुआ लेकिन धीरे-धीरे ही चलता रहा। 2022 तक आकर चीन की प्रति व्यक्ति आय 12,720 डॉलर हो गई जबकि भारत की 2,388 डॉलर तक ही पहुंच पाई। यह सत्य है कि चीन की शासन प्रणाली एक दलीय और निरंकुश प्रकार की है, जबकि भारत की जनतांत्रिक, और ऐसे में दोनों की कार्यप्रणाली में भी अन्तर स्वाभाविक है। तथापि इस समय भारत के लिए आवश्यक है कि इसे चॅलेंज के तौर पर लें और विश्व के सबसे बड़े जनसंख्या के देश के नाते, अपने विकास की दर को और तेजी से बढ़ाये, आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक विकास हो, जो हमारे प्रगतिशील और प्रतिभावान नवयुवकों की भरपूर मेहनत से संभव हो सकता है, जिसमें सरकार और रेगूलेटर्स का सहायक एजेंसी के तौर पर महत्वपूर्ण योगदान, शीघ्र और समयबद्ध निर्णयों के रूप में आवश्यक है।

यह सौभाग्य का विषय है कि भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस समय विश्व के सबसे तेजी से विकसित हो रहे देश के रूप में विख्यात है, 2024-25 में देश में 81.04 बिलियन डॉलर एफ.डी.आई. का निवेश हुआ है, प्रगति की दर 6.5 से 7.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष हो रही है जो बहुत तेजी से बढ़कर 8% तक पहुंचने की आशा है। हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि यह दर किसी प्रकार डबल डिजिट यानि 10% के उपर पहुंच जाये और स्थिर रहे जिसके लिए सभी को मेहनत करनी होगी और सरकार और रेगूलेटरी एजेंसी को अपने निर्णयों की गति भी बढ़ानी होगी।

रेगूलेटरी एजेंसियों जैसे सीसीआई, सेबी, एनसीएलटी, आरबीआई, आईबीसी, वित्तीय संस्थायें और अदालतें, में अक्सर निवेशकों के प्रस्तावों को निर्णयों के लिए लंबित रहना होता है जिससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) और निवेशकों में भारत के लिए माहौल पर असर पड़ता है। आईबीसी (इन्सोलवेंसी और बैंकरप्टसी कोड) के अर्न्तगत मामलों के निपटारे में देरी के कारण कई बार कम्पनियों और एसेट्स की मूल लागत में भी तब्दीली आ जाती है और बदली हुई स्थितियों में उसके कोई मायने नहीं रह जाते। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में (https: //lnk.ink/U2SO4) एन.सी. एल.टी. और एन.सी.एल.ए.टी. को हिदायत भी दी थी कि वें ऐसे मामलों में समयबद्ध तरीके से काम करें ताकि इन्सोलवेंसी जैसे मामलों में समयबद्ध निर्णय हों ताकि कार्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया समयानुकूल तरीके से चल सके। इसी प्रकार के प्रेषण अन्य मामलों में भी होते रहे हैं। यह आम तर्जुबा है कि साधारण मामलों में भी कोर्पोरेट केस रेगूलेटर्स और अदालतों में अंतिम फैसले के लिए उलझे रहते हैं।

ऐसे में सरकार और रेगूलेटरी एजेंसियों से विकास दर में तेजी लाने के लिए यह अपेक्षित होगा कि विकास के जो ईंजन हैं उनके तेजी से काम करने को सुनिश्चित किया जाये और स्वचालित अनुमोदन (आॅटोमेटिक एप्रूवल) अर्थात समय सीमा समाप्त होने पर स्वतः स्वीकृति माना जाये। एकीकृत समाधान तंत्र स्थापित किये जाये। न्यायिक क्षमता में सुधार के लिए रेगूलेटरी एजेंसी को सुदृढ़ किया जाये, एन.सी.एल.टी. और कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जाये। निर्णयों में समाधान समय सीमा का पालन अनिवार्य बनाया जाये। राज्यों में इस प्रकार के मामलों में निपटान के लिए समय सीमा पर दृष्टि के तंत्र स्थापित किये जायें।

भारत को यदि वैश्विक कार्पोरेट हब बनाना है तो नियममीय अनुमोदनों में देरी की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करना होगा। सरकार, नियामक और न्यायपालिका सभी को समन्वित प्रयास करने होंगे ताकि इज ऑफ डूइंग बिजनेस सिर्फ रिपोर्ट कार्ड तक सीमित न रह जाये, बल्कि जमीनी हकीकत भी बदले। त्वरित अनुमोदन न केवल व्यापारिक विश्वास को बढ़ायेगा, बल्कि भारत की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। वह समय दूर नहीं है जब भारत वैश्विक स्तर पर प्रगति की सीढ़ी पर और आगे अपने नये आयाम स्थापित करेगा।

-लेखक कम्पटीशन एडवाइजरी सर्विसेज के चेयरमैन हैं

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×