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जंगलों में धधक रही आग पर काबू पाने के लिए कृत्रिम वर्षा पर विचार करें : उत्तराखंड HC

उच्च न्यायालय ने सरकार को उन्हें छह माह के भीतर लागू करने तथा वनाग्नि से निपटने के लिए स्थाई व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए।

12:56 PM Apr 08, 2021 IST | Desk Team

उच्च न्यायालय ने सरकार को उन्हें छह माह के भीतर लागू करने तथा वनाग्नि से निपटने के लिए स्थाई व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पता करने को कहा है कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धधक रही दावानल को बुझाने के लिए क्या वह कृत्रिम वर्षा का सहारा ले सकती है। वन संपदा और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने बुधवार को पूछा कि वनाग्नि को बुझाने के लिए क्या कृत्रिम वर्षा कराई जा सकती है और इससे राज्य की भौगोलिकी पर क्या असर हो सकता है।
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वर्ष 2017 में जंगलों में लगी आग के दौरान राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा जारी 12 बिंदुओं वाले दिशानिर्देशों के आज तक लागू न हो पाने की ओर इंगित करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को उन्हें छह माह के भीतर लागू करने तथा वनाग्नि से निपटने के लिए स्थाई व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए।
अदालत ने सरकार को वन विभाग में रिक्त पदों में से 60 फीसदी छह माह के भीतर भरने के आदेश भी दिए। उच्च न्यायालय ने ग्राम पंचायतों को भी मजबूत करने के लिए कहा ताकि वे वर्ष भर जंगलों की निगरानी कर सकें। पीठ ने सरकार से वनाग्नि बुझाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा प्रतिवादन बल को बजट उपलब्ध कराने तथा हेलीकॉप्टर का उपयोग करने के निर्देश भी दिए।
पीठ ने राज्य को दो सप्ताह के भीतर जंगलों में लगी आग बुझाने के भी निर्देश दिए। अदालत ने राज्य के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी को भी मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। भरतरी ने अदालत को जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग की नीति और तकनीक के बारे में बताया। इस बीच, बुधवार को प्रदेश के उंचाई वाले स्थानों पर हिमपात और निचले इलाकों में बारिश होने से वनाग्नि नियंत्रण में लगे वन विभाग को कुछ राहत मिली।
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