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आज होगा साल का पहला ‘भारत बंद’, बैंकिंग-ट्रांसपोर्ट से लेकर परीक्षाओं पर भी पड़ सकता है असर !

सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने आज साल के पहले ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसमें 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है।

09:01 PM Jan 07, 2020 IST | Shera Rajput

सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने आज साल के पहले ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसमें 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है।

आज होगा साल का पहला ‘भारत बंद’  बैंकिंग ट्रांसपोर्ट से लेकर परीक्षाओं पर भी पड़ सकता है असर
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सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने आज साल के पहले ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसमें 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
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सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का कहना है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा उदारीकरण तथा सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर आठ जनवरी को राष्ट्र व्यापी हड़ताल ‘ भारत बंद’ का आयोजन किया है।
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इन संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, सेल्फ इम्प्लॉयड वीमेंस एसोसियेशन, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़ श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं।
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ भारतीय मजदूर संघ ने ‘भारत बंद’ का समर्थन नहीं किया है।
श्रमिक संघों का कहना है कि ‘भारत बंद’ के दौरान देश के प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में धरने प्रदर्शन किये जाएगें और जन सभायें आयोजित होगीं।
हालांकि चिकित्सा, खाद्य पदार्थों, अग्नि सेवा तथा जलापूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा श्रमिक संघों का कहना है कि कल स्कूल, कॉलेज तथा अन्य शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सार्वजनिक बैंकों में भी कामकाज नहीं होने की बात श्रमिक संघों ने कही है। उन्होंने कहा कि भारत बंद में विभिन्न उद्योग क्षेत्रों और समाज के विभिन्न तबकों के तकरीबन 25 करोड़ लोग भाग लेंगे।
श्रमिक नेताओं का कहना है कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका इसलिए मजदूरों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह तक हुई बैठकों में कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ सका। बातचीत के दौरान श्रमिक संघों ने सरकारी कंपनियों के विलय, विनिवेश और निजीकरण के मुद्दे उठायें लेकिन सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सकी।
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने कहा कि कल भारत बंद के दौरान छह बैंक यूनियन हड़ताल में शामिल होगीं। हालांकि एटीएम सेवा और शाखाओं के कामकाज को हड़ताल से छूट दी गयी है। इसके अलावा ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था भी हड़ताल से अप्रभावित रहेगी।
हड़ताल से आम जन जीवन प्रभावित होने की आशंका है। भारत बंद में बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन तथा सेवा क्षेत्र के कामगार भी शामिल होंगे। खबरों के अनुसार निजी टैक्सी सेवा ओला, उबर और आटो रिक्शा के संगठनों ने भी हड़ताल में भाग लेने की घोषणा की है।
श्रमिक संगठनों का कहना है कि सरकार को सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए और सार्वभौमिक रुप से राशन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा सेवायें उपलब्ध करानी चाहिए। न्यूनतम मजदूरी 21 हजार प्रति माह घोषित की जानी चाहिए। किसानों को कृषि उपजों के उचित मूल्य दिये जाने चाहिए और सभी को कम से कम 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन देनी चाहिए।
इसके अलावा सरकार को नागरिकता संशोधन कानून, श्रम संहितायें, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करने की योजनाओं को वापस लेना चाहिए।
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Shera Rajput

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