BBNJ Agreements: भारत ने समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए वैश्विक महासागर संधि पर किया हस्ताक्षर
BBNJ Agreements: भारत ने 'राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता' समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। हमारे महासागर स्वस्थ और लचीले बने रहें इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
Highlights
- 'राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता' समझौते पर हस्ताक्षर
- 'समुद्री जीवन को देशों द्वारा संरक्षित करना'
- भारत की रणनीतिक मौजूदगी को बढ़ाने में मददगार
भारत का BBNJ समझौते पर हस्ताक्षर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बीबीएनजे समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया, 'आज संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बीबीएनजे समझौते पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्री कहा, भारत बीबीएनजे समझौते में शामिल होने पर गर्व महसूस कर रहा है, हमारे महासागर स्वस्थ और लचीले बने रहें इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह समझौता, कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो समुद्री कानून संधि के अंतर्गत आता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समुद्री जीवन को देशों द्वारा संरक्षित किया जाए और उच्च समुद्रों पर इसका दीर्घकालिक उपयोग किया जाए।
विनाशकारी रूप से मछली पकड़ने और प्रदूषण पर प्रतिबंध
बता दें उच्च समुद्र, राष्ट्रों के टेरिटोरियल वाटर और एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन से परे हैं, जो तटों से 370 किमी तक हो सकते हैं। पिछले साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया यह समझौता विनाशकारी रूप से मछली पकड़ने और प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाता है। इस पर मार्च 2023 में सहमति बनी थी और यह सितंबर 2023 से शुरू होकर दो साल के लिए हस्ताक्षर के लिए खुला है। फिलहाल लगभग 100 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं और उनमें से आठ ने इसकी पुष्टि की है।
समुद्री संसाधनों पर संप्रभुता का दावा
समझौते के अनुसार, कोई भी देश समुद्र में स्थित समुद्री संसाधनों पर संप्रभुता का दावा नहीं कर सकता है। समझौता समुद्री संसाधनों से प्राप्त लाभों का न्यायसंगत बंटवारा भी सुनिश्चित करता है। जुलाई में कैबिनेट ने संधि में भारत की भागीदारी को मंजूरी दी थी। यह संधि हमारे एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) से परे के क्षेत्रों में भारत की रणनीतिक मौजूदगी को बढ़ाने में मदद कर सकती है। यह देश के समुद्री संरक्षण प्रयासों को और मजबूत करेगी।
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