Donald Trump को झटका, Colorado के बाद मेन ने उन्हें प्रांतीय मतदान से किया बाहर
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोलोराडो के बाद एक अन्य प्रांत मेन द्वारा प्राथमिक मतदान से बाहर कर दिया गया है, जिससे 2024 का चुनाव विद्रोहवादी आरोपों पर गहरी अराजकता और संवैधानिक भ्रम में बदल गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का हवाला देते हुए रिपोर्टों में कहा गया है कि जब ट्रम्प इस बात से राहत महसूस कर रहे थे कि मिशिगन की अदालत ने संवैधानिक लड़ाई में शामिल होने से इनकार कर दिया और उनका नाम प्रांतीय मतपत्र में बरकरार रखा, मेन का फैसला पूर्व राष्ट्रपति के अभियान के लिए पूरी तरह से झटका है।
ट्रम्प को एक अन्य प्रांत के मतदान से रोके जाने के बाद अमेरिका में चुनावी अराजकता का खतरा गहरा गया है। यह शुक्रवार सुबह अमेरिका भर के कई अखबारों में सुर्खियों में रहा।
डोनाल्ड ट्रम्प को मतपत्र से बाहर कर ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन गया
मेन प्रांत 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी कैपिटल दंगों के बाद डोनाल्ड ट्रम्प को मतपत्र से बाहर कर ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन गया है।
कोलोराडो अदालतों ने फैसला सुनाया था कि 6 जनवरी 2021 की घटना में उनकी कथित संलिप्तता के कारण ट्रम्प राष्ट्रपति पद के लिए मतदान में शामिल होने के लिए अयोग्य थे, जिसने जो बाइडेन को राष्ट्रपति के रूप में चुनने वाले 2020 के फैसले की घोषणा को रोकने की धमकी दी थी।
कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने 1860 के गृहयुद्ध के बाद पेश किए गए 14वें संशोधन को लागू किया
कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने 1860 के गृहयुद्ध के बाद पेश किए गए 14वें संशोधन को लागू किया, कि राज्य के खिलाफ विद्रोह में शामिल कोई भी व्यक्ति भविष्य में सार्वजनिक पद पर नहीं रह सकता।
लेकिन मिशिगन की अदालतों ने इसी तरह का मुकदमा दायर करने की अनुमति नहीं दी और सुनवाई से पहले की सुनवाई को भी रोकते हुए कहा कि यह अदालतों का नहीं बल्कि मतदाताओं का फैसला करने का मामला है। लेकिन मेन ने मिशिगन अदालतों की अनदेखी की और कोलोराडो के फैसले को अक्षरश: बरकरार रखा।
इस महीने की शुरुआत में कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के इसी तरह के फैसले के बाद मेन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के इस कदम ने ट्रम्प के अभियान के लिए बढ़ते संकट को और खराब कर दिया और 14वें संशोधन से उत्पन्न इस मुद्दे को उठाने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के विद्रोहवादी प्रतिबंध तर्क को मजबूत किया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मेन के फैसले ने 2024 के अभियान के आसपास एक अभूतपूर्व कानूनी और राजनीतिक उलझन को गहरा कर दिया है।