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भोपाल गैस कचरे के खिलाफ पीथमपुर में मशाल जुलूस

राज्य सरकार इस मामले के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगी

02:52 AM Jan 27, 2025 IST | Vikas Julana

राज्य सरकार इस मामले के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगी

पीथमपुर के निवासियों ने पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े जहरीले कचरे को जलाए जाने के विरोध में सड़कों पर उतरकर जोरदार मशाल जुलूस निकाला। शनिवार रात को निकाली गई इस रैली में सैकड़ों स्थानीय लोगों ने नारे लगाए “भोपाल का कचरा पीथमपुर में नहीं जलेगा” और अपने हाथों में साइन बोर्ड थामे हुए थे।

सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि यह रैली ज्ञान, आशा और एकता का प्रतीक है।उन्होंने कहा कि “हम यह संदेश देना चाहते हैं कि पीथमपुर के लोग एकजुट हैं और हम इस कचरे को यहां नहीं जलने देंगे।” दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा के रूप में चर्चित “भोपाल गैस त्रासदी” नामक दुखद घटना के चार दशक बाद, 1 जनवरी की रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को सुरक्षित निपटान के लिए पीथमपुर ले जाया गया।

2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से घातक गैस लीक होने के बाद भोपाल गैस त्रासदी ने कई हजार लोगों की जान ले ली थी। 6 जनवरी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि “यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री साइट के जहरीले कचरे के निपटान के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न निर्देशों के आधार पर हमने इसे पीथमपुर पहुंचाया क्योंकि यह एकमात्र केंद्र है जहां हानिकारक तत्वों वाले सभी प्रकार के रसायनों को वैज्ञानिक तरीकों से संसाधित किया जाता है। हमने हाईकोर्ट के सामने फिर से अपना पक्ष रखा, जैसा कि मैंने पहले घोषणा की थी कि हम इन सभी चीजों के लिए कोर्ट से समय मांगेंगे जब तक कि हम सभी लोगों को विश्वास में नहीं ले लेते। मुझे संतुष्टि है कि हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है और इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया है।”

सीएम ने कहा कि “इस बीच, सभी पक्ष और यदि कोई और अपना पक्ष रखना चाहता है तो वह कोर्ट के सामने रख सकता है और राज्य सरकार कोर्ट के फैसले का पालन करेगी।” याचिकाकर्ताओं के वकील नमन नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ने 3 दिसंबर के आदेश का पालन करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा, जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को वह समय दे दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होनी है।

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