ट्रंप ने लॉन्च किया 'गोल्ड कार्ड' वीजा प्रोग्राम, अमेरिका में नागरिकता पाने का नया रास्ता, जानें क्या है इसकी कीमत
Trump Gold Card: अमेरिका में भारत समेत कई देशों के स्टूडेंट अब पढ़ाई पूरी करने के बाद देश छोड़ने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। अमेरिकी कंपनियां यूनिवर्सिटीज के टॉप ग्रेजुएट्स को नौकरी पर रख सकेंगी। इसे आसान बनने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने एक नए 'ट्रंप गोल्ड कार्ड' प्रोग्राम की घोषणा की, जो कंपनियों को अमेरिकी विश्व विद्यालयों के टॉप ग्रेजुएट्स को अपने पास रखने की अनुमति देगा। इस कार्यक्रम को विशेष रूप से अमेरिकी विश्वविद्यालयों से उच्च रैंकिंग के साथ स्नातक करने वाले विदेशी छात्रों (खासकर भारतीय छात्रों) को अमेरिका में ही रोकने के लिए तैयार किया गया है।
गोल्ड कार्ड से छात्रों और टेक कंपनियों को मिलेगी स्थिरता

ट्रंप ने कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा, "आप अपने कॉलेज में नंबर वन आते हैं, लेकिन देश में रहने की कोई गारंटी नहीं। भारत, चीन, फ्रांस, सब देशों के छात्रों को वापस जाना पड़ता है। यह बहुत गलत है। यह नई व्यवस्था अमेरिकी कंपनियों को स्थिरता और निश्चितता देगी, खासतौर पर यह प्रोग्राम उन छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा जो वैज्ञानिक, तकनीकी और इंजीनियरिंग में महारत रखते हैं।
उन्हें वर्षों तक इमिग्रेशन बाधाओं में फंसना नहीं पड़ेगा। ट्रंप ने बताया कि यह बदलाव टेक कंपनियों खासकर एप्पल के सीईओ टिम कुक से हुई चर्चा के बाद उठाया गया। उन्होंने कहा, "टिम कुक ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या है। हम उस समस्या को खत्म कर रहे हैं।"
Gold Card Citizenship: क्या है गोल्ड कार्ड?
राष्ट्रपति ट्रंप के साथ कार्यक्रम का विवरण साझा करते हुए हावर्ड लटनिक ने बताया कि गोल्ड कार्ड दो तरह से हासिल किया जा सकता है। पहला, व्यक्तिगत आवेदक के लिए (1 मिलियन डॉलर) और दूसरा कंपनी के लिए (2 मिलियन डॉलर)। कंपनियां इस कार्ड के जरिए अपने किसी चुने हुए विदेशी कर्मचारी को अमेरिका में लंबे समय तक रखने का अधिकार पा सकेंगी।
लटनिक ने बताया कि गोल्ड कार्ड के लिए उम्मीदवार का सबसे कड़ा और उच्च स्तर का सरकारी वेटिंग प्रोसेस होगा, जिसकी लागत 15,000 डॉलर होगी। लटनिक के अनुसार, मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारी को पांच वर्ष में नागरिकता पाने का रास्ता मिल जाएगा। इसके बाद कंपनी उसी कार्ड पर किसी अन्य कर्मचारी को भी ला सकती है, यानी कार्ड एक तरह से रोटेटिंग रेजिडेंसी परमिट की तरह काम करेगा। उन्होंने इसे अमेरिका के लिए एक उपहार बताया, जो देश को वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धा में और मजबूत बनाएगा।
गोल्ड कार्ड से अमेरिकी सरकार को मिलेगा भारी राजस्व

ट्रंप ने कहा कि गोल्ड कार्ड कार्यक्रम से अमेरिकी सरकार को भारी राजस्व मिलेगा। उन्होंने अनुमान लगाते हुए कहा, "हम सोचते हैं कि इससे अरबों डॉलर आएंगे। शायद कई अरब डॉलर भी।" राष्ट्रपति ने कहा कि वीजा अनिश्चितता के कारण पहले कंपनियां अपने कर्मचारियों को कनाडा जैसे देशों में भेज देती थीं। अब हमने वह समस्या हल कर दी है। कंपनियां बहुत खुश होंगी।
हम नंबर वन रहना चाहते हैं- ट्रंप
राउंडटेबल में डेल टेक्नोलॉजीज के माइकल डेल, आईबीएम के अरविंद कृष्णा, क्वालकॉम के क्रिस्टीआनो अमोन, एचपी और हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक को प्रशासन ने इमिग्रेशन सुधार, तकनीकी निवेश और अमेरिकी कार्यबल को मजबूत करने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया।
ट्रंप ने एआई और चिप मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों द्वारा किए गए निवेश की सराहना की। उन्होंने कहा, "हम एआई में बहुत आगे हैं। हमारा लक्ष्य तकनीक में पूरी तरह से प्रभुत्व हासिल करना है। हम नंबर वन रहना चाहते हैं, वह भी बहुत अंतर से।"
माइकल डेल ने कहा कि एआई और सेमीकंडक्टर उद्योग बड़े पैमाने पर बिजली की खपत करते हैं, इसलिए ऊर्जा की उपलब्धता और कम लागत अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आईबीएम के अरविंद कृष्णा ने पूर्ण एआई स्टैक (सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर, सिस्टम और एप्लिकेशन्स) को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।
Gold Card: भारतीयों के लिए नया इमिग्रेशन अवसर

गोल्ड कार्ड कार्यक्रम भारतीय छात्रों और उच्च-कौशल वाले भारतीय कर्मचारियों के लिए पिछले एक दशक में सबसे बड़ा इमिग्रेशन सुधार माना जा रहा है। अमेरिका में भारतीय छात्र दूसरे सबसे बड़े विदेशी छात्र समूह हैं और एच-1बी वीजा प्राप्त करने वालों का सबसे बड़ा हिस्सा भी भारतीय ही हैं। ऐसे में यह कार्यक्रम भारतीय टेक और एआई वर्कफोर्स पर बेहद महत्वपूर्ण असर डालेगा।
कई अमेरिकी प्रशासन लंबे समय से रोजगार-आधारित इमिग्रेशन सुधार लाने में असफल रहे हैं। कांग्रेस में गतिरोध और वीजा कोटे की सीमा ने वर्षों से कंपनियों और विदेशी पेशेवरों को मुश्किल में रखा है। टेक कंपनियां लगातार यह कहती रही हैं कि वीजा लॉटरी और अनिश्चित प्रक्रियाएं अमेरिकी प्रतिस्पर्धा को कमजोर करती हैं। ट्रंप का गोल्ड कार्ड कार्यक्रम इन्हीं समस्याओं को हल करने और अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा केंद्र बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
यह भी पढ़ें: ‘उनके होंठ मशीनगन की तरह तेजी से चलते हैं… ‘, अपनी प्रेस सेक्रेटरी की तारीफ में ये क्या बोल गए ट्रंप

Join Channel