ईरान को चेतावनी देने के दौरान खुद ही झटका खा बैठे ट्रंप, इराक में अमेरिकी बेस पर हो गया अटैक
ईरान को चेतावनी देने के दौरान खुद ही झटका खा बैठे ट्रंप
यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह हमला सीधे तौर पर ईरान द्वारा किया गया या फिर इराक में सक्रिय किसी शिया मिलिशिया समूह ने इसे अंजाम दिया है. गौरतलब है कि इससे पहले भी इराक में मौजूद कई ईरान-समर्थित शिया मिलिशिया गुटों ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं.
Iran-Israel tensions: ईरान-इजराइल तनाव के बीच अमेरिका को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, इराक स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे ऐन अल-असद को निशाना बनाकर ड्रोन हमला किया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में तीन ड्रोन लॉन्च किए गए थे. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि समय रहते सभी ड्रोनों को मार गिराया गया और कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह हमला सीधे तौर पर ईरान द्वारा किया गया या फिर इराक में सक्रिय किसी शिया मिलिशिया समूह ने इसे अंजाम दिया है. गौरतलब है कि इससे पहले भी इराक में मौजूद कई ईरान-समर्थित शिया मिलिशिया गुटों ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं. लेकिन मौजूदा हालात में जब ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है, इस तरह के हमले क्षेत्रीय संघर्ष को और अधिक भड़काने की आशंका को जन्म दे रहे हैं.
ट्रंप की ईरान को कड़ी चेतावनी
ड्रोन हमले से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सख्त लहजे में चेतावनी दी थी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, ‘आज रात ईरान पर हुए किसी भी हमले से अमेरिका का कोई संबंध नहीं है. लेकिन यदि ईरान ने अमेरिका या उसके ठिकानों पर हमला किया, तो उसे अमेरिकी सेना की ऐसी प्रतिक्रिया झेलनी होगी जैसी पहले कभी नहीं देखी गई.’
IDF का बड़ा दावा
इससे पहले इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने दावा किया था कि उन्होंने तेहरान स्थित ईरानी शासन की परमाणु हथियार परियोजना से जुड़े कई लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया है. इस बयान ने तनाव को और बढ़ा दिया है, क्योंकि ईरान बार-बार चेतावनी देता आया है कि उस पर हमले के लिए अगर अमेरिका के क्षेत्रीय ठिकानों का इस्तेमाल हुआ, तो वह इन ठिकानों को भी अपने जवाबी हमले में शामिल करेगा.
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क्षेत्रीय युद्ध की आशंका बढ़ी
ईरान द्वारा दी गई धमकी के बाद यदि अमेरिका ने इजराइल की मदद की तो वह अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर भी हमला करेगा, क्षेत्रीय हालात को और भी जटिल बना रही है. अमेरिका की उपस्थिति वाले बेस पहले भी निशाने पर रहे हैं, लेकिन इस बार की परिस्थितियाँ बेहद संवेदनशील हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह के हमले जारी रहे और स्पष्ट जवाबी कार्रवाइयां होती रहीं, तो इससे यह स्थानीय संघर्ष एक व्यापक युद्ध का रूप ले सकता है जिसमें मिडिल ईस्ट के कई देश खिंच सकते हैं.