ट्रस्ट घोटाला : जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के कार्यालय में सिद्धू ने मारा छापा
कर्जे में डूबे और लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे इंप्रूवमेंट ट्रस्ट जालंधर में आज स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ही अंदाज में
लुधियाना-जालंधर : कर्जे में डूबे और लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे इंप्रूवमेंट ट्रस्ट जालंधर में आज स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ही अंदाज में अचानक कार्यालय खुलते ही छापा मारा। केबिनेट मंत्री की आने की सूचना किसी भी उच्च अधिकारी या सियासी नेताओं को नहीं लगी।
नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मेयर जगदीश राजा और ट्रस्ट के चेयरमैन और नगरनिगम के कमीशनर दीपरवाह लाकड़ा भी मोजूद थे। इस छापामारी में लुधियाना के मेयर बलकार संधू भी ट्रस्ट पहुंचे हुए थे। जानकारी के लिए उल्लेखनीय है कि फिलहाल नवजोत सिंह सिद्धू ट्रस्ट के अन्य कर्मचारी और अधिकारियों से वितीय हालत के बारे में जानकारी करते दिखे। सिद्धू के मुताबिक जालंधर और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में 500 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ है, जिसकी जांच जरूरी है।
सिद्धू ने अपने करीबियों से जालंधर में ही 200 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया। सिद्धू ने कहा कि बाजार की कीमतों के हिसाब से यहां 200 करोड़ के करीब का घोटाला है। अगर कलेक्टर रेट भी देखा जाएं तो घोटाला 100 करोड़ रूपए का अवश्य निकलता है। इस दौरान जालंधर में बीजेपी के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने केबिनेट मंत्री के खिलाफ शहर के डेवलपमेंट कार्य पूरे ना होने के आरोप लगाकर नारेबाजी भी की।
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केबिनेट मंत्री ने कहा कि अकाली भाजपा की पिछली सरकार ने सिंगल एंट्री सिस्टम के तहत समस्त कार्य होता रहा है, जिसको सुप्रीम कोर्ट भी नहीं मानता। अमृतसर के फोरेंसिक एडिट में 250 करोड़ की गड़बड़ी मिली थी, इसमें 78 करोड़ रूपए वह थे, जिनके खाते में डालते रहे ओर अधिकारी कमीशन खाते रहे। यहां तक कि किसी ने अपनी भाभी के नाम पर पैसा जमा करवा लिया।
सिद्धू ने अधिकारियों को सिस्टम दुरूस्त करने का एक हफते का वक्त देते चेतावनी देते कहा कि इसके पश्चात तो बरखास्तगी के आर्डर होंगे। जब सिद्धू से पूछा गया कि सिंगल टेंडर के ठेके देने का फैसला पिछली सरकार ने किया था और अफसरों ने उसी के आधार पर ठेके दिए है तो उन्होंने गोलमोल बात करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हुआ, सिर्फ एक पत्र के जरिए यह कार्यवाही की गई थी। जबकि जिस आधार पर समस्त ठेके दिए गए। सिंगल टेंडर हुए ठेकों को सुप्रीम कोर्ट भी नहीं मानता।