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TV Disadvantage: क्या TV देखते हुए सो जाते हैं आप? mental health को हो सकते हैं ये नुकसान

08:00 AM Jan 17, 2024 IST | Aastha Paswan
tv disadvantage  क्या tv देखते हुए सो जाते हैं आप  mental health को हो सकते हैं ये नुकसान

TV Disadvantage: रिसर्च में यह भी पाया गया कि जो लोग टीवी या स्मार्टफोन से भी कम रोशनी में सोते थे, उनमें अगली सुबह इंसुलिन रजिस्‍टेंस काफी ज्यादा था। लेकिन आप इस बात से अंजान होंगे की इससे आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

Highlights

  • TV के सामने सोने के साइड इफेक्ट्स
  •  TV की रोशनी का हेल्थ पर प्रभाव
  • स्क्रीन टाइम का दिमाग और शरीर पर बुरा असर

TV के सामने सोने के साइड इफेक्ट्स

TV देखने में कोई बुराई नहीं लेकिन देर तक टीवी के आगे बैठना आंखों ही नहीं दिमाग के लिए भी खतरनाक माना जाता है। आज के दौर में टेक्नोलॉजी TV और स्मार्ट फोन में चिपका रहता है। वहीं एक रिपोर्ट में सामने आया है कि TV के आगे बैठना ही नहीं सोना भी सेहत के लिए नुकसानदायक है। कई लोगों की आदत होती है कि वे TV देखते-देखते ही सो जाते हैं, जिसका सेहत पर बुरा असर (TV Disadvantages) पड़ता है। रिसर्च के मुताबिक, सोते समय टीवी देखने से नींद खराब हो जाती है और इससे वजन भी तेजी से बढ़ सकता है।

स्टडी के अनुसार

शिकागो में नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने साल 2022 में आई एक टोस्ट में बताते हुए कहा कि 63 से 84 साल की उम्र वाले 550 से ज्‍यादा वालंटियर्स को बेड पर वॉच पहनने के लिए कहा गया था, ताकि एम्बिएंट लाइट पर निगरानी रखी जा सके। इसके साथ यह भी पता चल सके कि इससे सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है। स्‍टडी के मुताबिक, ऐसे लोग जो कम रोशनी में सोते थे, उनमें डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्‍लड प्रेशर का खतरा ज्‍यादा पाया गया। रिसर्च में यह भी पाया गया, कि जो लोग टीवी या स्मार्टफोन से भी कम रोशनी में सोते थे, उनमें अगली सुबह इंसुलिन रजिस्‍टेंस काफी ज्यादा था। इससे ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने की क्षमता भी प्रभावित हुई।

 TV की रोशनी का हेल्थ पर प्रभाव

रात में टीवी की रोशनी मेलाटोनिन लेवल कम करने का काम करती है। इससे नींद डिस्टर्ब होती है और डायबिटीज के साथ हाई ब्‍लड प्रेशर का खतरा भी बढ़ता है। BP, डायबिटीज और मोटापा की वजह से हार्ट की बीमारियां बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है।

ब्‍लू लाइट से बिगड़ सकता है सर्केडियन रिदम

artificial blue light के संपर्क में रहने से मेलाटोनिन पर प्रभाव पड़ता है और चाहकर भी नींद नहीं आती है। इसी वजह से नींद न आने में परेशानी होती है। ऐसे लोग जो इंसोमनिया से पीड़ित हैं, उन्हें इस लाइट में कम रहना चाहिए, ताकि नींद जल्दी आए। खराब स्‍लीप शेड्यूल शरीर की खराब रिकवरी और कई समस्याओं का कारण बन सकती है।

स्क्रीन टाइम का दिमाग और शरीर पर बुरा असर

सोने से पहले TV देखते-देखते नींद आने पर इसके सपने भी आने लगते हैं। जो चीज हम TV में देखते हैं, कुछ सपने डरावने और बेचैनी पैदा करने वाले भी हो सकते हैं। इससे नींद खराब होती है और सुबह उठने पर पूरा मूड बिगड़ा रहता है। इसकी वजह से थकान भी महसूस होती है। इसके अलावा टीवी देखते हुए सो जाने से सही पॉश्‍चर का भी पता नहीं होता है और अगली सुबह कंधे में अकड़न या मांसपेशियों में खिंचाव रहता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई गई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Aastha Paswan

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