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उदयपुर के इस गांव में खेली जाती है 'बारूद की होली', 450 साल से चली आ रही परंपरा

07:00 AM Mar 21, 2024 IST | Ritika Jangid
उदयपुर के इस गांव में खेली जाती है  बारूद की होली   450 साल से चली आ रही परंपरा

पूरे देश में होली का पर्व बड़े धूमधाम से अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है। कहीं रंगों से होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली। लेकिन भारत में एक राज्य ऐसा भी है जहां होली का त्योहार बड़े ही अलग अंदाज में बनाया जाता है। होली खेलने का तरीका यहां इतना अनूठा है कि लोग भी एक बार के लिए उलझन में पड़ जाते हैं कि आखिर यहां होली खेली जा रही है या दिवाली मनाई जा रही है। क्योंकि यहां बारूद से होली खेली जाती है।

Udaipur Village where holi is celebrated with gunpowder

मेनरा गांव में बारूद की होली

दरअसल, राजस्थान के उदयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित मेनार गांव में धुलंडी के दूसरे दिन बारुद की होली खेली जाती है। करीब 450 साल से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार आज भी इस गांव में बारूद की होली खेली जाती है। इस साल 26 मार्च के दिन जमराबीज मनाया जाएगा। गांव के लोग इस दिन पांच हांस (मोहल्लों) से ओंकरारेश्वर चौक पर मेनारवासी मेवाड़ी पोषाक पहनकर आधी रात को योद्धा की भांति ढोल की थाप पर कूच करते हुए हवाई फायर और तोपों से गोले दागते हैं।

ये वीडियो @exploring_my_dawn नामक अकाउंट ने शेयर किया है।

होली पर दिवाली जैसा माहौल

बारूद की होली को देख ऐसा लगता है मानों दिवाली मनाई जा रही है। इस दिन ग्रामीण न सिर्फ पटाखें छोड़ते हैं बल्कि आमने-सामने खड़े होकर बंदूकों से हवाई फायर करते हैं। इस होली में लोग खुले आसमान में तोप छोड़ते हैं और तलवारें लहराते हैं। पटाखों की गर्जना के बीच तलवारों की खनखनाहट यहां के माहौल को युद्ध का मैदान जैसा बना देती है। इसकी तैयारी एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है। देश के कोने-कोने से लोग इस होली का हिस्सा बनने के लिए शामिल होते हैं।

बारूद की होली का इतिहास

बारूद की होली खेलने का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। मान्यता है कि महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह के शासनकाल में मेवाड़ पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए मेनारिया ब्राह्मणों ने दुश्मनों से युद्ध लड़ा था। यह युद्ध रात के समय लड़ा गया था। इस जंग में मेनारिया ब्राह्मणों ने सभी दुश्मनों को मारकर मौत के घाट उतार दिया था। मेवाड़ पर हो रहे अत्याचारों का अंत किया तभी से मेनारिया गांव में उस रात की याद में बारूदों की होली की परंपरा चली आ रही है।

Udaipur Village where holi is celebrated with gunpowder

 

आज भी लोग धुलेंडी के दूसरे दिन खुलकर आतिशबाजी कर बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं। देश के कोने-कोने से तो लोग इसमें शामिल होने के लिए आते ही है बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला मेनारिया गांव का व्यक्ति इस त्यौहार से बिल्कुल दूर नहीं रहता है। बता दें, ये होली खेलते वक्त आजतक कोई भी नुकसान नहीं हुआ है।

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Ritika Jangid

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