उद्धव का हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता! अंधेरी उपचुनाव के जरिए BMC की तैयारियों में लगे ठाकरे-शिंदे गुट
महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन चुकी है। दरअसल अंधेरी पूर्वी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख करीब आ गई है। इस सीट पर मुख्य तौर से शिवसेना के दोनों धरो के बीच मुकाबला होना है।
02:39 PM Oct 14, 2022 IST | Desk Team
महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन चुकी है। दरअसल अंधेरी पूर्वी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीख करीब आ गई है। इस सीट पर मुख्य तौर से शिवसेना के दोनों धरो के बीच मुकाबला होना है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की नाक में दम कर रखा है। पहले ही उनके 40 विधायक और 12 सांसदों को उनसे छिन चुके है। अब इस सीट को हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। बता दे कि यह सीट उद्धव के करीबी रमेश लटके की निधन के बाद खाली हुई थी। ठाकरे गुट ने उनकी पत्नी ऋतुजा लटके को उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं शिंदे -भाजपा कैंप ने मुरजी पटेल को संयुक्त प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा हैं। माना जा रहा है कि ठाकरे गुट इस चुनाव में मराठा कार्ड खेलना का पूरा प्रयास करेगा, क्योंकि मुरजी पटेल गुजराती है।
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CPI का ठाकरे समूह को समर्थन
ठाकरे समूह को उपचुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), कांग्रेस और हिंदुत्व की विरोधी भारतीय कॉम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) का समर्थन प्राप्त है। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे हिंदुत्व की विचारधारा के पुरजोर समर्थक थे। ऐसे में उनके पुत्र उद्धव ठाकरे ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपनी विचारधारा से समझौता कर दिया है। भाजपा भी उनपर विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाती रही है।
राजनीतिक जमीन बचाने के प्रयास में उद्धव
उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा है क्योकि इसके नतीजे देश के सबसे अमीर नगर निगम बीएमसी को प्रभावित करेंगे। बीएमसी पर शिवसेना का लंबे समय से कब्जा रहा है। हालांकि पार्टी में बगावत के बाद ठाकरे परिवार का महाराष्ट्र में जनाधार कम होता नजर आ रहा है। उनके लिए नए नाम और सिंबल के साथ चुनाव में उतरना एक चुनौती है। बता दे कि चुनाव आयोग ने शिंदे और ठाकरे समूह द्वारा शिवसेना पर अपना दावा ठोके जाने के बाद, पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह तीर-धनुष को अगले आदेश तक के लिए फ्रीज कर दिया है। आयोग ने दोनों गुटों को चुनाव के मद्देनजर अलग-अलग चिन्ह और पार्टी का नाम दिया है। ठाकरे परिवार अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में लगे है। इसलिए वह किसी तरह के समझौते को करने से पीछे नहीं हट रहे है।
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