IndiaWorldDelhi NCRUttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir BiharOther States
Sports | Other GamesCricket
HoroscopeBollywood KesariSocialWorld CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

मुख्यमंत्री योगी ने कहा विकास के लिए नकारात्मक मॉडल से बचना होगा

04:21 PM Nov 03, 2023 IST
Advertisement

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को 'पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास' विषय पर दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को सरकार या संस्थानों के भरोसे छोड़ दिया जाता है। जैसे नगरों में कूड़ा प्रबंधन को नगरीय निकायों की जिम्मेदारी मान ली जाती है। जबकि, यह नागरिक जिम्मेदारी ज्यादा है।

संस्थानों के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है पर्यावरण की रक्षा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण जल, भूमि, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों का समन्वित रूप है। यदि भूमि रहने लायक न रहे, जल पीने लायक न रहे, जीव-जंतुओं का अस्तित्व संकट में रहे तो प्रौद्योगिकी का क्या महत्व रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार और संस्थानों के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण की रक्षा के लिए आगे आए। भारतीय समाज प्राचीनकाल से ही पर्यावरण के लिए संवेदनशील रहा है। भारतीय मनीषा ने पृथ्वी को माता की संज्ञा दी है और कोई भी पुत्र मां पर प्रहार स्वीकार नहीं करेगा। वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य तय किए। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ पर्यावरण को भी सम्मिलित किया गया। इन लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने को लेकर सभी देशों के प्रयास पर जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने आज के दौर में सतत ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य के मॉडल को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस मॉडल में सरकार पर निर्भर रहने की बजाय ग्रामीणों के पारस्परिक सहयोग से कूड़ा प्रबंधन से लेकर ग्रामीण जीवन के स्वावलंबन का विजन है। उन्होंने जल संचयन के लिए तालाबों के संरक्षण की प्राचीन पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि गांवों में तालाब आदि का जल प्रदूषित होने से इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी सामने आई। इससे 40 वर्ष में करीब 50 हजार बच्चों की असामयिक मृत्यु हो गई। विकास के लिए नकारात्मक मॉडल से बचना होगा।

गंगा नदी का प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है

सीएम ने कहा कि 2016 में नमामि गंगे परियोजना लागू होने के बाद गंगा जल की शुद्धता, अविरलता और निर्मलता बढ़ी है। गांगेय डॉल्फिन जैसे जलीय जीव फिर से दिखाई दे रही हैं। गंगा नदी में स्नान करने से अब चकत्ते नहीं पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर गंगा नदी का प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है। इसी तरह संत सींचेवाल के मॉडल से जल की शुद्धि का देसी और प्रभावी तरीका एक बार फिर सबके सामने आया है।पराली जलाने की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच-छह राज्यों को नोटिस जारी की है। पराली जलाने की समस्या से दिल्ली गैस का चैंबर बनती जा रही है। कृषि क्षेत्र में विकास व समय के अनुरूप तकनीकी न विकसित करने से पराली पर्यावरण और धरती की उर्वरा शक्ति के लिए खतरा बन गई। यदि कम्बाइन के साथ राइपर भी लगा दिया जाता तो पराली के छोटे-छोटे टुकड़े मिट्टी में ही सड़कर ग्रीन कम्पोस्ट बन जाते।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत में जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। उनका स्वच्छ भारत मिशन भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है, जिसमें ग्रामीणों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति आग्रही बनाया गया।

Advertisement
Next Article