For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता

03:55 AM Jan 29, 2024 IST | Aditya Chopra
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता का मामला इन दिनों काफी चर्चा में है। यह मुद्दा भाजपा के एजैंडे में हमेशा ही रहा है। भाजपा के एजैंडे में शामिल तीन मुख्य मुद्दों में राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना और समान नागरिक संहिता को लागू करना शामिल रहा है। राम मं​दिर का निर्माण हो चुका है और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 भी हटाया जा चुका है। भाजपा शासित राज्य अब समान नागरिक संहिता लागू करने की तरफ बढ़ रहे हैं। इस मामले में उत्तराखंड बाकी राज्यों के ​लिए उदाहरण बन रहा है। 26 जनवरी को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 15 दिन और बढ़ा दिया है। अब 2 फरवरी को रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। उसके बाद सरकार 5 फरवरी को विधानसभा सत्र बुलाकर समान नागरिक संहिता कानून को कानूनी रूप दे सकती है। समान नागरिक संहिता का अर्थ एक देश एक कानून होता है। देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेने, सम्पत्ति के बंटवारे से लेकर अन्य तमाम विषयों तक सभी धर्मों के लिए एक समान कानून होंगे।
इस कानून को देशभर में लागू करने के लिए विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर विचार करने और सार्वजनिक, धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार जानने का फैसला किया था। देश की शीर्ष अदालत भी देश में एक समान कानून लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कह चुकी है। भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय होते हैं। भारत में यह कानून अब तक लागू नहीं हो पाया है। इसका कारण कई तरह के धार्मिक कानून ही रहे हैं।
समान नागरिक कानून का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था। उस समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है। संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका। इसका कारण भारतीय संस्कृति की विविधता है। यहां एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं। आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्यक हैं लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्यों में उनके रीति-रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा। सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपने आप खत्म हो जाएंगे।
भारत में एकमात्र राज्य गोवा है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। इसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है। इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है। रजिस्ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगी। शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है। संपत्ति पर पति-पत्नी का समान अधिकार है। इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं। गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है।
अगर समान नागरिक संहिता को लेकर दुनिया की बात करें तो अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बंगलादेश, मलेशिया, इंडोनशिया, तुर्किये, सूडान, मिस्र जैसे देशों में यह कानून लागू है। यूरोप के कई ऐसे देश हैं जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को माना जाता है। देेश में इस कानून को लागू नहीं करने के पीछे तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति भी जिम्मेदार रही है। संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की मांग की गई है तो भारत में दोहरी व्यवस्था क्यों है? यह सवाल बार-बार उठा है। वर्तमान में हर धर्म के लोग अपने-अपने पर्सनल लॉ के अधीन फैसले करते हैं। समान नागरिक संहिता के विरोधियों का कहना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करेगा और व्यक्तिगत कानूनों को प्रत्येक धार्मिक समुदाय के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। जबकि इस कानून के समर्थकों का यह कहना है कि व्यक्तिगत कानून विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संरक्षण से संबंधित मामलों में महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं। समान नागरिक संहिता कानून भेदभाव खत्म कर लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा और महिलाओं की स्थिति में सुधार लाएगा। अब उत्तराखंड सरकार इस कानून को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। कानून का प्रारूप जल्दी ही सामने आएगा। प्रारूप में लिव-इन-रिलेशन, शादियों के ​लिए रजिस्ट्रेशन, अनाथ बच्चों का गाेद लेने के संबंध में प्रावधान भी सामने आएंगे जिससे समाज में बदलाव सामने आ सकते हैं। उम्मीद है कि एक दिन पूरे देश में यह कानून लागू होगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×