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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को बताए पराली जलाने के नुकसान

06:54 AM Oct 15, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को बताए पराली जलाने के नुकसान
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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को पंजाब प्रवास के दौरान लुधियाना के ग्राम नूरपुर बेट में किसानों से चौपाल पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कृषि यंत्रों का प्रदर्शन देखा और वहीं डोराहा गांव में समन्यु हनी मधुमक्खी पालन केंद्र का अवलोकन किया। कृषि मंत्री ने धान की कटाई के लिए एसएसएमएस फिटेड कंबाइन हार्वेस्टर और गेहूं की बुआई के लिए हैप्पी स्मार्ट सीडर मशीन का लाइव डेमो देखा।

लुधियाना के गांव की अनोखी मिसाल

उन्होंने मीडिया से कहा कि लुधियाना का नूरपुर बेट गांव एक मिसाल है। यहां वर्षों से पराली नहीं जलाई जाती है। यहां के किसान भाइयों द्वारा स्मार्ट सीडर और एसएमएस सिस्टमयुक्त कम्बाइन की मदद से पराली का प्रबंधन किया जाता है। जब यह चलता है तो पराली को जलाने की बजाय उसे खेत में ही समान रूप से फैला देता है। इससे खेत तुरंत बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। ना पराली जलाने की जरूरत, ना बखरनी करने की। फिर जब स्मार्ट सीडर से बोनी की जाती है तो वह मिट्टी और दाने को कॉम्पेक्ट कर देता है। पराली मिट्टी पर ढक जाती है, जिससे नमी बनी रहती है और जड़ों को मजबूती मिलती है।

कृषि मंत्री ने बताए पराली न जलाने के फायदे

किसान भाइयों ने बताया कि जहां पहले खेत की तैयारी, पलेवा और बोनी में लगभग पांच हजार रुपए तक का खर्च आता था, वहीं अब केवल पंद्रह सौ रुपए में काम पूरा हो जाता है। पहले पराली जलाकर खेत तैयार किया जाता था, फिर बखरनी, फिर पलेवा। लेकिन अब इस तकनीक से पलेवा की आवश्यकता ही नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को पराली न जलाने के फायदे बताए और इसके साथ ही पराली प्रबंधन की अपील की है। कृषि मंत्री ने कहा कि पराली जलाने से किसानों को उलटा नुकसान ही होता है, जबकि इसका प्रबंधन करने से उनको अप्रत्याशित फायदा होता है। खेत की नमी बनी रहती है, और गेहूं की फसल की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं। ऐसे में न तो फसल आड़ी होती है, न ही दाना पतला पड़ता है।

उत्पादन में वृद्धि हुई

किसान भाइयों ने बताया कि उत्पादन में कोई कमी नहीं आई, बल्कि वृद्धि हुई है। अगर दो साल लगातार इस पद्धति से पराली का प्रबंधन किया जाए तो पराली खुद मिट्टी में मिलकर नाइट्रोजन बन जाती है। इससे यूरिया की आवश्यकता घटती है, मिट्टी की सेहत सुधरती है, और खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। उन्होंने कहा कि किसान भाइयों और बहनों से मेरी अपील है कि पराली मत जलाइए। पराली का प्रबंधन कीजिए। मैं भी नूरपुर से प्रेरणा लेकर अपने खेत में डायरेक्ट सीडिंग का यह प्रयोग करूंगा।

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Rahul Kumar Rawat

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