BBMB अध्यक्ष की कथित ‘नज़रबंदी’ पर केंद्रीय मंत्री की तीखी प्रतिक्रिया
BBMB अध्यक्ष की ‘नज़रबंदी’ पर केंद्रीय मंत्री की कड़ी टिप्पणी
भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के अध्यक्ष मनोज त्रिपाठी की कथित ‘नज़रबंदी’ के मामले ने पंजाब-हरियाणा जल विवाद को एक बार फिर सियासी मोड़ पर ला दिया है। केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पंजाब सरकार पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं पंजाब सरकार ने BBMB पर बिना राज्य की सहमति के हरियाणा को पानी देने का आरोप लगाया है। इस घटनाक्रम ने ना सिर्फ संवैधानिक सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को भी बहस के केंद्र में ला दिया है।
AAP मंत्री और समर्थकों पर ‘अधिकारियों को बंधक बनाने’ का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब के मंत्री हरजोत सिंह बैंस और आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने BBMB अध्यक्ष मनोज त्रिपाठी को नंगल स्थित गेस्ट हाउस में कथित तौर पर ‘कैद’ कर लिया। त्रिपाठी वहां भाखड़ा नांगल डैम की सुरक्षा और जल वितरण की समीक्षा के लिए पहुंचे थे। मंत्री बैंस ने उनके दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जब पूरा राज्य रेड अलर्ट पर है, तब हरियाणा को कौन सी ऐसी इमरजेंसी है कि सुबह-सुबह पानी मांगा जा रहा है?” उन्होंने कहा कि हम पहले ही मानवता के आधार पर पानी दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री का पलटवार
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने इस पूरे घटनाक्रम को “संविधान और कानून की खुली अवहेलना” बताया। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और मंत्री बैंस के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि BBMB अध्यक्ष डैम की सुरक्षा जांच के लिए पहुंचे थे, और उन्हें रोकना गंभीर अपराध है, खासकर तब जब देश की सीमाओं पर युद्ध जैसे हालात हैं।
पंजाब सरकार का आरोप: “BBMB केंद्र के दबाव में”
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आरोप लगाया कि BBMB केंद्र सरकार के दबाव में पंजाब का पानी जबरन हरियाणा को दे रहा है। उन्होंने इसे “पंजाब के हितों के खिलाफ साजिश” बताया। उनका कहना था कि एक ओर देश में तनाव की स्थिति है, और दूसरी ओर भाजपा “पंजाब को जल संकट में धकेलने का काम कर रही है।”
हरियाणा का रुख और समाधान की संभावनाएं
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में 3 मई को एक सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें BBMB तकनीकी समिति के फैसलों को बिना शर्त लागू करने की मांग की गई। वहीं, पंजाब मंत्री गुरमीत सिंह खड़ीयां ने कहा कि दोनों राज्य ज़रूरत के आधार पर पानी का उपयोग कर रहे हैं, और फसलों में बदलाव कर जल संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये मुआवज़े की भी मांग की है।