संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्टर संघों को 26 मार्च के भारत बंद की योजना बनाने को आमंत्रित किया
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्टरों और खुदरा विक्रेताओं के संघों तथा अन्य संगठनों को 26 मार्च के राष्ट्रव्यापी ‘भारत बंद’ की योजना बनाने के लिए एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया।
11:39 PM Mar 13, 2021 IST | Shera Rajput
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शनिवार को ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्टरों और खुदरा विक्रेताओं के संघों तथा अन्य संगठनों को 26 मार्च के राष्ट्रव्यापी ‘भारत बंद’ की योजना बनाने के लिए एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया।
केंद्र के नये कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन में एसकेएम, 40 किसान संघों का नेतृत्व कर रहा है।
एसकेएम द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि बुधवार को होने वाली इस बैठक का उद्देश्य ‘‘बेहतर’’ तरीके से बंद का आयोजन करने के लिए कई संगठनों से सुझाव लेना है।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के चार महीने 26 मार्च को पूरे होने वाले है। किसानों का विरोध प्रदर्शन पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुआ था।
एसकेएम ने कहा, ‘‘हम उस दिन (26 मार्च के भारत बंद) को सफल बनाने के लिए आपके पूर्ण सहयोग और एकजुटता की अपेक्षा करते हैं। इसकी बेहतर योजना बनाने के लिए, हम 17 मार्च 2021 को दोपहर 12 बजे हरियाणा में सोनीपत जिले के कुंडली में मालवा हुंदई शोरूम के पास (सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल) एक बैठक आयोजित कर रहे हैं।’’
एसकेएम ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों से राज्य और जिला स्तर पर इस तरह की बैठकें आयोजित करने के लिए भी कहा है।
साथ ही, उसने स्पष्ट किया कि 26 मार्च को ‘भारत बंद’ के आह्वान के तहत उन क्षेत्रों के लिए ‘‘कोई बंद’’ नहीं होगा, जहां 27 मार्च को चुनाव होने वाले हैं।
तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और असम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसकी शुरूआत 27 मार्च से होगी।
किसानों के विरोध प्रदर्शन को 100 दिनों से अधिक हो गए हैं। प्रदर्शनकारी किसान ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और रेलवे के निजीकरण का 15 मार्च को विरोध करेंगे और इस दिन को ‘‘कॉर्पोरेट विरोधी दिवस’’ और ‘‘सरकार विरोधी दिवस’’ के रूप में मनाएंगे।
हजारों किसान, जिनमें अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, दिल्ली की सीमाओं–सिंघू, टिकरी और गाजीपुर–पर डेरा डाले हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान नये कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
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