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MSP की कानूनी गारंटी समेत अन्य अपनी कई मांगों के साथ शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे पंजाब के किसान अब दिल्ली मार्च नहीं निकालेंगे। लेकिन उन्होंने यह फैसला किया है के वे हरियाणा बॉर्डर पर ही बैठे रहेंगे और जब तक सरकार सड़कें नहीं खोलती तब तक वहीं बैठेंगे। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने सोमवार को इस बारे में कहा कि दिल्ली की ओर मार्च करने का निर्णय नहीं बदला है।
किसान नेता ने कहा कि जब तक सरकार दिल्ली के लिए रास्ते नहीं खोलती, किसानों के समूह शंभू और खनौरी बॉर्डर पर ही रहेंगे। उन्होंने कहा, पंजाब और हरियाणा के किसान यहीं बैठे रहेंगे, हम अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के बिना आगे नहीं बढ़ेंगे। हमने दिल्ली की ओर मार्च करने का अपना फैसला नहीं बदला है, हम तब तक इंतजार करेंगे जब तक सरकार सड़कें फिर से नहीं खोल देती। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के किसानों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा गया है और वे ट्रेन या किसी अन्य साधन से आएंगे।
किसान नेता ने कहा, हमने अन्य राज्यों के किसानों से 6 मार्च को रेलवे, बस या किसी अन्य वाहन का उपयोग करके दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए कहा है। उन्होंने आगे कहा कि सीमाओं पर शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। इससे पहले 29 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर किसान युवक शुभकरण सिंह की मौत के मामले में हरियाणा पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय निकाय ने एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल के खिलाफ, कर्ज से मुक्ति, वृद्धावस्था पेंशन, श्रम संहिता को वापस लेने के मुद्दों को उजागर करने के लिए 14 मार्च को दिल्ली में महापंचायत का आह्वान किया है।