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UP : इत्र कारोबारी पीयूष जैन को बड़ी राहत, टैक्स चोरी में कोर्ट से मिली जमानत

टैक्स चोरी मामले में कन्नौज के परफ्यूम कारोबारी पीयूष जैन को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कारोबारी को सशर्त जमानत दे दी। पीयूष जैन बीते आठ महीनों से जेल में बंद है।

12:19 PM Sep 02, 2022 IST | Desk Team

टैक्स चोरी मामले में कन्नौज के परफ्यूम कारोबारी पीयूष जैन को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कारोबारी को सशर्त जमानत दे दी। पीयूष जैन बीते आठ महीनों से जेल में बंद है।

टैक्स चोरी मामले में कन्नौज के परफ्यूम कारोबारी पीयूष जैन को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कारोबारी को सशर्त जमानत दे दी। पीयूष जैन बीते आठ महीनों से जेल में बंद है। दिसंबर 2021 में जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय (डीजीजीआई) की एक टीम द्वारा तलाशी के दौरान कानपुर और कन्नौज में उनके आवास और कारखाने से 196 करोड़ रुपये से अधिक नकद और 23 किलो सोना जब्त किया गया था।
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न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने जैन की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया और कई शर्तें लगाईं, जिसमें यह भी शामिल है कि वह मुकदमे के दौरान सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और किसी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगे। जैन विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट-थ्री कानपुर नगर की अदालत में आपराधिक मामला संख्या 7646 ऑफ 2022 में जमानत पर रिहा होने की मांग कर रहे थे।

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पिछले साल 22 दिसंबर को डीजीजीआई की टीम ने कन्नौज और कानपुर में जैन के आवासीय और आधिकारिक परिसरों की तलाशी ली थी जो 28 दिसंबर तक जारी रही। जैन को 26 दिसंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था। जैन के अनुसार, वह की बीमारियों से ग्रसित हैं – ग्लूकोमा, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, जिसका इलाज चल रहा था।
उन्होंने जमानत याचिका में कहा कि उन्होंने कर, ब्याज और जुर्माने के रूप में पहले ही 54.09 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था और ये भी कहा था कि अगर और भी भुगतान बाकी है तो वो भी दे देंगे। इसके अलावा, जैन पहले ही आठ महीने से अधिक समय जेल में बिता चुका था और इस अवधि के दौरान विभाग ने उससे हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं की थी, जिससे पता चलता है कि उसकी हिरासत की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं थी और इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
अदालत ने जमानत अर्जी की अनुमति देते हुए कहा, “भले ही आरोप गंभीर आर्थिक अपराध में से एक है, यह नियम नहीं है कि हर मामले में जमानत से इनकार किया जाना चाहिए क्योंकि विधायिका द्वारा पारित प्रासंगिक अधिनियम में ऐसी कोई रोक नहीं है।” 
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