UPI लेनदेन में 23% की वृद्धि, मई में 25.14 लाख करोड़ रुपए
यूपीआई लेनदेन में 23% की वृद्धि, डिजिटल पेमेंट में तेजी
मई में यूपीआई लेनदेन की वैल्यू 23% बढ़कर 25.14 लाख करोड़ रुपए हो गई। एनपीसीआई के अनुसार, लेनदेन की संख्या 18.68 अरब रही, जो पिछले साल के 14.03 अरब से 33% अधिक है। यूपीआई की सफलता ने भारत को ग्लोबल रियल टाइम पेमेंट में अग्रणी बना दिया है।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की वैल्यू मई में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत 25.14 लाख करोड़ रुपए हो गई है। पिछले साल मई में 20.45 लाख करोड़ रुपए के यूपीआई लेनदेन हुए थे। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, मई में यूपीआई लेनदेन की संख्या 18.68 अरब रही है। यह पिछले साल के समान अवधि के आंकड़े 14.03 अरब से 33 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल 2025 में कुल 17.89 अरब यूपीआई लेनदेन हुए थे और इनकी वैल्यू 23.95 लाख करोड़ रुपए थी। मई 2025 में देश में औसत दैनिक लेनदेन की संख्या 60.2 करोड़ रही, जबकि औसत दैनिक लेनदेन की वैल्यू 81,106 करोड़ रुपए रही।
UPI ने वित्त वर्ष 2025 में डिजिटल पेमेंट्स में 83.7% हिस्सेदारी हासिल की
देश के डिजिटल पेमेंट सिस्टम में यूपीआई लेनदेन की भागीदारी कुल लेनदेन में बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 83.7 प्रतिशत हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 79.7 प्रतिशत थी।आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 185.8 अरब लेनदेन हुए, जो सालाना आधार पर 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इस दौरान यूपीआई लेनदेन की वैल्यू वित्त वर्ष 2023-24 के 200 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए हो गई है। आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा, “यूपीआई की सफलता ने भारत को ग्लोबल रियल टाइम पेमेंट में 48.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ अग्रणी स्थान पर पहुंचा दिया है।”
आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक 2028-29 तक 20 देशों में यूपीआई का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और यूएई में क्यूआर कोड के माध्यम से भारतीय यूपीआई ऐप की स्वीकृति पहले ही सक्षम हो चुकी है, जिससे भारतीय पर्यटक, छात्र और व्यावसायिक यात्री अपने घरेलू यूपीआई ऐप का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं। आरबीआई ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी के मामलों की कुल घटनाओं में कमी आई है, लेकिन धोखाधड़ी की राशि तीन गुना बढ़कर 36,014 करोड़ रुपए हो गई है, जिसका मुख्य कारण धोखाधड़ी के नए तरीके हैं।