अमेरिकी हमले से हमारे Nuclear Bases को गंभीर नुकसान हुआ...आखिरकार ईरान ने मानी बात!
Nuclear Bases: ईरान पर हाल ही में हुए अमेरिकी हवाई हमले में उसके प्रमुख परमाणु ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. आखिरकार ये बात अब ईरान ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर ली है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को जानकारी दी कि रविवार को अमेरिकी बी-2 बॉम्बर विमानों द्वारा किए गए हमलों में फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकाने बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया, लेकिन यह माना कि 'हमारे परमाणु प्रठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, यह एक सच्चाई है.' ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चली सैन्य झड़पों के बाद अब हालात में थोड़ी स्थिरता आती दिखाई दे रही है.
ईरान- इजराइल सीजफायर
दोनों देशों के बीच मंगलवार को संघर्षविराम की घोषणा हुई, हालांकि शुरुआत में एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन के आरोप लगते रहे. लेकिन बुधवार तक मिसाइलों, ड्रोनों और हवाई हमलों की आवाजें थम गईं. इससे इस बात की संभावना बढ़ गई है कि ईरान और इजरायल किसी संभावित शांति समझौते की ओर बढ़ सकते हैं.
ट्रंप की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संघर्षविराम में मध्यस्थ की भूमिका निभाई. नीदरलैंड्स में हुए नेटो शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने मीडिया को बताया कि 'युद्धविराम फिलहाल अच्छी तरह काम कर रहा है.' उन्होंने यह भी दोहराया कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार प्राप्त नहीं करने दिया जाएगा और यूरेनियम संवर्धन की उसकी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए.
ईरान ने दी चेतावनी
हालांकि, ईरान ने अपने रुख में कोई नरमी नहीं दिखाई है. उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी परिस्थिति में अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं छोड़ेगा. इसके अलावा, ईरानी संसद ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी संस्था IAEA के साथ सहयोग को निलंबित करने वाले प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. यह संस्था लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी कर रही थी.
IAEA की आलोचना
ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ ने IAEA पर आरोप लगाया कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी हमलों की निंदा तक नहीं की. उन्होंने संसद में कहा, 'जब तक हमारे परमाणु ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती और हमारा शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम तेज गति से आगे नहीं बढ़ता, तब तक IAEA से किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया जाएगा."
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