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अमेरिकी चुनाव निर्णायक मोड़ पर

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव बहुत दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। तीन नवम्बर को अमेरिकी नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे।

01:35 AM Oct 24, 2020 IST | Aditya Chopra

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव बहुत दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। तीन नवम्बर को अमेरिकी नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे।

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव बहुत दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। तीन नवम्बर को अमेरिकी नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के बीच दूसरी और आखिरी बहस हुई। हर बार तीन बहसें होती रही हैं लेकिन इस बार एक बहस  राष्ट्रपति ट्रंप के कोरोना पीड़ित होने के कारण रद्द कर दी गई। पिछली बहस को देखते हुए इस बार बहस की शर्तें भी बदल गईं, जिसमें सबसे बड़ा बदलाव यह रहा कि बहस के दौरान विभिन्न मुद्दों पर जब एक उम्मीदवार अपनी बात दो मिनट के लिए रख रहा होगा तो दूसरे उम्मीदवार का माइक बंद कर दिया जाएगा। ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि पिछली बहस में ट्रंप ने बार-बार बाइडेन को टोका था। ईरान, चीन और कोरोना को लेकर ट्रंप और बाइडेन में इस बार भी बड़ी दिलचस्प भिड़ंत हुई। बाइडेन ने सीधा आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन अमेरिका में महामारी से पैदा हुई स्थिति सम्भालने में नाकाम रहा है। अमेरिका में अब तक 2 लाख 22 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 8.4 मिलियन लोग अब तक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस प्रशासन ने पहले कोरोना महामारी को गम्भीरता से नहीं लिया और लॉकडाउन जैसे कोई कदम नहीं उठाए। बाइडेन के हाथ में यह एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन ट्रंप ने काेरोना महामारी के लिए पूरी तरह चीन को जिम्मेदार ठहराया और विश्व स्वास्थ्य संगठन को सटीक जानकारी न देने के लिए जमकर घेरा। इस बहस के दौरान ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में उछाल आना अब खत्म हो गया है। बाकी जगहों पर भी जल्द ही चला जाएगा। कुछ ही हफ्तों में कोरोना की वैक्सीन हमारे पास होगी और हमारी सेना इसे लोगों तक पहुंचाएगी। उन्होंने बाइडेन पर कुछ तीखी टिप्पणियां भी कीं। बाइडेन ने ट्रंप के चुनाव प्रचार के दौरान मास्क उतारने की आलोचना भी की। बहस के दौरान चीन के साथ-साथ ईरान और रूस के पास अमेरिकी वोटरों की जानकारी को लेकर भी सवाल उठाए गए। बाइडेन ने कहा कि रूस, ईरान और चीन चुनावों में दखल दे रहे हैं। ‘‘रूस नहीं चाहता कि मैं चुनाव जीतूं, मैंने कभी किसी विदेशी कम्पनी से पैसे नहीं लिए हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप ने टैक्स की चोरी की है, उनका बैंक अकाउंट भी चीन में है। ट्रंप का कहना था कि वह रूस के मामले में अत्यधिक सख्त रहे हैं उतना शायद कोई अन्य राष्ट्रपति रहे हों। अफगानिस्तान में अमेरिकी भूमिका को लेकर भी बाइडेन और ट्रंप में मतभेद साफ नजर आए। बाइडेन का मानना है कि अफगानिस्तान में अभी अमेरिकी सेना को रहना चाहिए।
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इस बहस में कौन आगे रहा, कौन पीछे? इस सवाल का जवाब सर्वेक्षणों ने दे दिया। अलग-अलग सर्वेक्षणों में बाइडेन को 51 फीसदी के साथ बढ़त पर बताया गया है जबकि ट्रंप का ट्रेड 43 फीसदी बताया गया है। पहली बहस में ट्रंप ने बाइडेन को 73 बार टोका था। ऐसा करके ट्रंप ने बाइडेन को कम ही मौके दिए कि वे कुछ ऐसा कर पाएं, जिससे उनके चुनावी अभियान को भारी चोट पहुंचे। वे अपने मकसद में कामयाब रहे लेकिन पहली बार ही बहस के जरिये चुनावी दौड़ को हिला कर रख देने में नामाक रहे। इस बहस का असर दस अमेरिकी मतदाताओं में से सिर्फ एक मतदाता पर ही देखा गया। बहस में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया जो राष्ट्रपति पद के आचरण के अनुरूप नहीं था। फिलहाल सारे सर्वेक्षणों में बाइडेन को बढ़त मिली हुई है, लेकिन ये बढ़त अपराजेय नहीं। सात से आठ प्रतिशत की बढ़त को अचानक अपने करिश्मे से पलटने की क्षमता रखने वाले ट्रंप ने पिछले चुनावों में आखिरी दिनों में पासा पलट दिया था। अनेक विशेषज्ञ अभी से बाइडेन को स्पष्ट रूप से विजेता मान रहे हैं लेकिन बाइडेन की टीम प्रचार में किसी तरह की ढील नहीं दे रही है। बाइडेन की ओर से प्रचार करने वालों में बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी शामिल हैं।
कोरोना ने पूरी दुनिया को धीमा कर दिया है। सब कुछ धीमी गति से चल रहा है और इसका असर अमेरिकी चुनाव परिणामों पर भी होगा। कोरोना के कारण अमेरिका में पहली बार बड़ी संख्या में लोग पोस्ट के जरिये मतदान कर रहे हैं। अभी तक 50 लाख से अधिक मतदाता पोस्टल बैलेट के जरिये वोट डाल चुके हैं। साथ ही अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में नियम है कि वे वोटिंग के दिन से पहले भी जाकर वोट डाल सकते हैं। कई राज्यों में वोटिंग के दिन कोई राष्ट्रीय अवकाश भी नहीं होता। पोस्टल बैलेट पहले के चुनावों की तुलना में काफी अधिक होंगे और गणना में हफ्ते भर का समय लग सकता है। तीन नवम्बर को मतदान समाप्त होने के बाद ही राज्यों में लाखों की संख्या में डाले गए पोस्टल बैलेट खोले जा सकेंगे। मतगणना के दिन जो शुरूआती रुझान देखने को मिलते हैं, वह असल में पोस्टल बैलेटों की गिनती से मिलते हैं। वर्ष 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा के गवर्नर को शुरूआती रुझान में बढ़त मिली थी, लेकिन मतों की गिनती में हार गए। तब उन्होंने इसे फ्राड बताया। मामला वहां की सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। ट्रंप पहले ही पोस्टल बैलेट में धांधली की आशंका जता चुके हैं। अमेरिका के लोगों को लम्बे समय तक चुनाव परिणामों का इंतजार करने की आदत नहीं। ऐसी स्थिति में साजिशों की थ्योरियां गढ़ी जा सकती हैं। सोशल मीडिया के जमाने में कोई भी अफवाह बड़ा रूप ले सकती है। फिलहाल ट्रंप और बाइडेन दोनों ही पूरा दमखम लगाए हुए हैं। देखना होगा अमेरिका का जनादेश ड्रेमोक्रेट्स बाइडेन के पक्ष में आता है या फिर रिप​ब्लिकन ट्रंप के पक्ष में।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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