US Tariffs: कृषि, औषधि और मशीनरी क्षेत्रों में पड़ सकता है प्रभाव
भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरीफ का बढ़ता दबाव
.अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए जवाबी शुल्क से कृषि, औषधि, मशीनरी और अन्य कई क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च शुल्क अंतर के कारण भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई होगी। विशेष रूप से, झींगा निर्यात पर 27.83 प्रतिशत शुल्क अंतर से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अमेरिका के भारतीय उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने से कृषि, बहुमूल्य पत्थर, रसायन, औषधि, चिकित्सकीय उपकरण, इलेक्ट्रकल व मशीनरी सहित क्षेत्रों के सामान प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन क्षेत्रों में उच्च शुल्क अंतर के कारण अमेरिकी प्रशासन से अतिरिक्त सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। उच्च शुल्क अंतर किसी उत्पाद पर अमेरिका और भारत द्वारा लगाए गए आयात शुल्कों के बीच का अंतर है। व्यापक क्षेत्र स्तर पर, भारत और अमेरिका के बीच संभावित शुल्क अंतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है।
सभी क्षेत्रों में पड़ेगा असर
रसायनों तथा औषधि पर यह अंतर 8.6 प्रतिशत, प्लास्टिक पर 5.6 प्रतिशत, वस्त्र व परिधान पर 1.4 प्रतिशत, हीरे, सोने तथा आभूषणों पर 13.3 प्रतिशत, लोहा, इस्पात व आधार धातओं पर 2.5 प्रतिशत, मशीनरी व कंप्यूटर पर 5.3 प्रतिशत, इलेक्ट्रोनिक पर 7.2 प्रातिशत और वाहन तथा उसके घटकों पर 23.1 प्रतिशत है। एक निर्यातक ने कहा, शुल्क अंतर जितना धिक होगा, क्षेत्र उतना ही अधिक प्रभावित होगा । रिसर्च इनिशिएटिव ट्रेड ग्लाबल जीटीआरआई के विश्लेषण के अनुसार, कृषि में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र मछली, मांस व समुद्री भोजन होगा।
40% अमेरिका को झींगा निर्यात
इसका 2024 में निर्यात 2.58 अरब अमेरिकी डॉलर था और इसे 27.83 प्रतिशत शुल्क अंतर का सामना करना पड़गा। झींगा जो अमेरिका का एक प्रमुख निर्यात है, अमेरिकी शुल्क लागू होने के कारण काफी कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। कोलकाता स्थित समुद्री खाद्य निर्यातक एवं मेगा मोडा के प्रबंध निदेशक योगेश गुप्ता ने कहा किअमेरिका में हमारे निर्यात पर पहले से ही डंपिंग रोधी और प्रतिपूरक शुल्क लागू हैं। शुल्कों में अतिरिक्त वृद्धि से हम अप्रतिस्पर्धीं हो जाएंगे। भारत के कुल झींगा निर्यात में से हम 40 प्रतिशत अमेरिका को निर्यात करते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका प्रतिस्पर्धी देशों इक्वाडोर और इंडोनेशिया पर भी इसी तरह का शुल्क लगाए तो भारतीय निर्यातकों को कुछ राहत मिल सकती है। भारत के प्रसंस्कृत खाद्य, चीनी तथा कोको निर्यात पर भी असर पड सकता है क्योंकि शुल्क अंतर 24.99 प्रतिशत हैं । पिछले साल इसका निर्यात 1.03 अरब अमेरिकी डॉलर था। इसी प्रकार, अनाज, सब्जियां, फल तथा मसालों ( 1.91 अरब अमेरिकी डॉलर निर्यात) के बीच शुल्क अंतर 572 प्रतिशत है।