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गर्मी में चंदन का उपयोग: त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

चंदन के एंटीसेप्टिक गुण: त्वचा संक्रमण से बचाव और शीतलता

03:19 AM Apr 09, 2025 IST | IANS

चंदन के एंटीसेप्टिक गुण: त्वचा संक्रमण से बचाव और शीतलता

गर्मी के मौसम में तेज धूप, लू और पसीने की परेशानी से राहत पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में चंदन को शीतलता देने वाला सर्वोत्तम प्राकृतिक तत्व माना गया है। हाल ही में हुए शोधों में यह पाया गया है कि चंदन न केवल त्वचा को ठंडक प्रदान करता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। चंदन, संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्रसन्न करना’ या ‘वह जो प्रसन्न करता है’। वैज्ञानिक के साथ-साथ इसका धार्मिक महत्व भी है।

रिसर्च गेट की दिसंबर 2012 की शोध के अनुसार, चंदन में एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं। गर्मी में चंदन पाउडर को गुलाब जल के साथ मिलाकर फेस पैक के रूप में उपयोग करना बेहद लाभकारी होता है। यह न केवल त्वचा को ठंडक देता है, बल्कि टैनिंग, रैशेज और मुंहासों से भी राहत दिलाता है।

गर्मी में लू लगने का खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि चंदन का लेप शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद करता है। पीठ, छाती या माथे पर चंदन का पेस्ट लगाने से शरीर को ठंडक मिलती है और लू लगने की आशंका कम हो जाती है।

बेंगलुरु स्थित एक आयुर्वेद संस्थान के अध्ययन के अनुसार, चंदन की खुशबू मस्तिष्क को शांत करती है और मानसिक तनाव को कम करती है। गर्मी के मौसम में मानसिक थकान और चिड़चिड़ापन आम बात है। ऐसे में चंदन तेल का अरोमाथेरेपी के रूप में उपयोग किया जाए तो यह मन को शांत करने में मदद करता है।

एक अन्य पारंपरिक प्रयोग के तहत चंदन जल का उपयोग भी बेहद प्रभावी माना जाता है। चंदन पाउडर को पानी में घोलकर नहाने से शरीर को ठंडक मिलती है और गर्मी से होने वाले चकत्तों से राहत मिलती है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि चंदन का उपयोग प्राकृतिक रूप में ही करें। बाजार में मिलने वाले कृत्रिम चंदन उत्पादों में रसायन मिले हो सकते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शुद्ध चंदन पाउडर या तेल का ही उपयोग करना चाहिए।

शोध यह स्पष्ट करते हैं कि चंदन गर्मी में शीतलता देने वाला एक प्रभावशाली और सुरक्षित उपाय है। यह न केवल त्वचा और शरीर को राहत देता है, बल्कि मानसिक रूप से भी सुकून प्रदान करता है। अगर इसका सही और शुद्ध रूप में उपयोग किया जाए, तो गर्मी के दुष्प्रभावों से काफी हद तक बचा जा सकता है।

चंदन का धार्मिक महत्व भी है। पौराणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख है। इसे महाभागवत और सर्वश्रेष्ठ वैष्णव माना जाता है। जिसका कारण सिर्फ एक है, वो ये कि यह अपने शरीर का क्षय (घिस) कर भगवान के लिए सुगन्धित और शीतलता देने वाला लेप बन जाता है। इसके इसी त्याग पर रीझ कर भगवान उसे अपने मस्तक और श्रीअंग में धारण करते हैं। भगवान शिव और विष्णु पर भी चंदन का लेप लगाया जाता है।

आमतौर पर भौहों के बीच ललाट पर चंदन तिलक लगाया जाता है। असल में ये वो क्षेत्र होता है जो मस्तिष्क के सात चक्रों को कंट्रोल करता है। ये मानव बुद्धि का केंद्र माना जाता है। पूजा-पाठ के दौरान जब हम देवताओं के माथे पर तिलक लगाते हैं, तो माना जाता है कि उनकी दिव्य ऊर्जाओं को आकर्षित करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस तरह चंदन अपने नाम के अनुरूप सबको प्रसन्न करता है। चाहे वो आम इंसान हो या सबके पालनहार भगवान!

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