Usha Arghya 2025: उगते सूरज को दिया अर्घ्य, छठ महापर्व का समापन, घाटों पर उमड़ी भीड़
Usha Arghya 2025: छठ महापर्व का त्योहार बिहार, दिल्ली समेत कई राज्यों में धूमधाम से मनाया गया। रोशनी और भक्ती की रौनक घाटों पर छाई रही। आज बिहार में, लोग "उषा अर्घ्य" की तैयारी के लिए पटना कलेक्ट्रेट घाट पर उमड़ पड़े। श्रद्धालुओं ने घाट पर विभिन्न स्थानों पर सावधानीपूर्वक फूल और फल सहित प्रसाद रखा। छठ पूजा के आखिरी दिन आज सुबह श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को "उषा अर्घ्य" दिया। उगते सूर्य को देखने और पूजा करने के लिए श्रद्धालु नदी तट पर पहुँचे। "उषा अर्घ्य" के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाकर्मी मौजूद थे।
Usha Arghya 2025: उगते सूर्य को अर्घ्य दिया
दिल्ली में आईटीओ स्थित हाथी घाट को रोशनी से सजाया गया है, जहां श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। उत्तर प्रदेश में गोरखपुर में राप्ती नदी पर स्थित गुरु गोरखनाथ घाट पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ पूजा के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने और अनुष्ठान करने के लिए आए। दिल्ली के यमुना घाट पर भी मंगलवार सुबह 'उषा अर्घ्य' देने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसके साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा का समापन हो गया।
Chhath Puja 2025: पवित्र अनुष्ठान के साथ शुरू
सूर्य देव की उपासना को समर्पित चार दिवसीय छठ महापर्व शनिवार को नहाय-खाय के पवित्र अनुष्ठान के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद रविवार को खरना और संध्या अर्घ्य (शाम का अर्घ्य) हुआ। आज सुबह के अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होगा। बता दें कि इस वर्ष यह त्योहार 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है, जिसमें कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय, पंचमी को खरना, षष्ठी को छठ पूजा और सप्तमी को समापन उषा अर्घ्य शामिल है।
Chhath Puja Niyam Vidhi: नहाय खाय के दिन दो दुर्लभ संयोग
छठ पूजा शनिवार 25 अक्टूबर 2025 को नहाय खाय के साथ शुरू हुई थी। इस दिन व्रती सुबह-सुबह स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करती हैं। इसके बाद शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी खाती हैं। कई ज्योतिष आचार्य का मानना है कि इस साल नहाय खाय के दिन दो दुर्लभ संयोग बना है। इस दौरान पूजा करने से व्रती को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ALSO READ: छठ का महापर्व कल नहाय खाय के साथ होगा शुरू, जानें इस दिन के नियम और धार्मिक महत्व