15 या 16 नवंबर, कब है उत्पन्ना एकादशी? इस दिन विष्णु पूजा से कटेंगे जन्म-जन्म के पाप, जानें मुहूर्त और व्रत का अचूक विधान
04:17 PM Nov 09, 2025 IST | Khushi Srivastava
Utpanna Ekadashi 2025 Date and Time: हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का अत्यंत विशेष स्थान बताया गया है। वर्षभर में आने वाली 24 एकादशियों में से उत्पन्ना एकादशी को पहली और मूल एकादशी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है।
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हर साल मार्गशीर्ष माह (अगहन) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानें, इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी की तिथि, योग और शुभ मुहूर्त क्या रहेगा
Utpanna Ekadashi 2025 Date and Time: उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और शुभ योग
उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा। यह तिथि देर रात 12:49 बजे आरंभ होकर अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात 2:37 बजे समाप्त होगी। इस दिन उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग रहेगा। पूजा और व्रत आरंभ करने के लिए सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त माना गया है, जो सुबह 11:44 से 12:27 तक रहेगा।
Utpanna Ekadashi 2025 Puja Vidhi: उत्पन्ना एकादशी व्रत और पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु के नाम का दीप प्रज्वलित करें। पूजा में भगवान को पीले फूल, तुलसी दल, पीले फल और मिठाई अर्पित करें। उत्पन्ना एकादशी के दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत करते हैं, जबकि कुछ फलाहार या एकादशी प्रसाद का सेवन करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन चावल, दाल और अन्य अनाज का सेवन वर्जित होता है।
उत्पन्ना एकादशी का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मुर नामक एक राक्षस ने धरती पर अत्याचार मचाया, तब भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से एकादशी देवी को प्रकट किया। देवी ने उस असुर का वध किया और उसी दिन का नाम उत्पन्ना एकादशी रखा गया। इसलिए इस एकादशी को सभी एकादशियों में प्रथम और अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
Utpanna Ekadashi Mahatva: व्रत का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और मानसिक शांति बनी रहती है।
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