Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

उत्पन्ना एकादशी के दिन इस तरह करें पूजा जीवन में आएगी सुख-समृद्धि, जानें महत्व और पूजा विधि

12:00 PM Nov 15, 2025 IST | Kajal Yadav
Utpanna Ekadashi Vrat Benefits 2025 (Source: social media)

Utpanna Ekadashi Vrat Benefits 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्त्व बताया गया है। साल में आने वाली 24 एकादशियों में से उत्पन्ना एकादशी को पहली और मूल एकादशी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है। हर साल मार्गशीर्ष माह (अगहन) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है, तो उसे व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, तभी व्रत सफल होता है।

Utpanna Ekadashi Vrat Benefits 2025: उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व

Advertisement
उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व (Source: social media)

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और मानसिक शांति बनी रहती है। हालांकि, इस दिन व्रत के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

Ekadashi Kab ki Hai: कब है उत्पन्ना एकादशी

उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा। यह तिथि देर रात 12:49 बजे आरंभ होकर अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात 2:37 बजे समाप्त होगी। इस दिन उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग रहेगा। पूजा और व्रत आरंभ करने के लिए सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त माना गया है, जो सुबह 11:44 से 12:27 तक रहेगा।

Ekadashi ki Katha: उत्पन्ना एकादशी कथा

Utpanna Ekadashi Vrat Benefits 2025 (Source: social media)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई थी उसके प्रारंभिक समय में असुरों का अत्याचार अत्यधिक काफी बढ़ गया था। तब उसने कई देवताओं को भयभीत कर लिया था। जिसके बाद सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। तब शिवजी ने उन्हें इतना परेशान देखकर भगवान विष्णु की शरण में जाने को कहा। देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने मुर का संहार करने का निर्णय लिया।

भगवान विष्णु सभी देवताओं के साथ चन्द्रवती नाम की एक नगरी में पहुंचे, जहां मुर का पूरा राज्य था। वहां विष्णु और मुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया, जो बहुत लंबे समय तक चलता रहा। इतनी देर तक युद्ध करने के बाद जब उसका कोई अंत नहीं दिखा, तो भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम की हेमवती गुफा में विश्राम करने चले गए।

उत्पन्ना एकादशी कथा (Source: social media)

राक्षस मुर भगवान विष्णु का पीछा करते हुए उस गुफा में पहुंच गया। जैसे ही उसने भगवान विष्णु पर आक्रमण करने की कोशिश की, तभी भगवान के शरीर से एक तेजस्विनी शक्तिमान कन्या प्रकट हुई। उस दिव्य कन्या ने तुरंत मुर का वध कर दिया। विश्राम करने के बाद जब भगवान विष्णु ने अपने नेत्र खोले, तो उन्होंने मुर को मृत अवस्था में देखा और उस कन्या की वीरता से अत्यंत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन्होंने कन्या को वरदान दिया।

उस कन्या का जन्म एकादशी तिथि पर हुआ है, इसलिए संसार में उसे "एकादशी" के नाम से जाना जाएगा। हर युग में उसकी पूजा होगी और जो लोग एकादशी व्रत को पूरी श्रद्धा भाव से करेंगे, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। भगवान विष्णु ने यह भी कहा कि उन्हें एकादशी व्रत उतना ही प्रिय होगा जितना कोई अन्य उपासना नहीं हो सकती है।

Also Read: घर की इस दिशा में नहीं बनाना चाहिए मंदिर, वरना वास्तु दोष से होगा बड़ा नुकसान

Advertisement
Next Article