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उत्तराखंड : क्रैश कैपिटल

उत्तराखंड में हैलीकॉप्टर हादसों का बढ़ता खतरा…

07:05 AM Jun 17, 2025 IST | Aditya Chopra

उत्तराखंड में हैलीकॉप्टर हादसों का बढ़ता खतरा…

जून महीने के तीसरे रविवार दिनभर हादसों की खबरें आती रही। सुबह केदारनाथ से लौट रहे हैलीकॉप्टर के क्रैश होने की खबर आई। कहीं मकान गिर गए और कहीं पुल टूटने से कुछ लोगों की जान चली गई। हादसों के पीछे कारण भले ही अलग-अलग हो लेकिन आम लोगों की जिंदगियां खत्म हो गई और पूरे के पूरे परिवार सदमे में आ गए। हादसे तभी होते हैं जब ऊपर से नीचे तक लापरवाही बरती जाती है। प्रशासन और प्रबंधन को जहां मौजूद रहना चाहिए वह कहीं दिखाई नहीं देते। निजी कम्पनियों का लोभ भी काफी हद तक हादसों के ​लिए जिम्मेदार होता है।

उत्तराखंड में लगातार हो रहे हैलीकॉप्टर हादसों पर लगाम लग पाना मुश्किल दिख रहा है। तमाम हवाई सेवा नियमावली और सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद लगातार हवाई हादसे हो रहे हैं। उत्तराखंड चारधाम यात्रा के 45 दिनों के भीतर पांच हैलीकॉप्टर हादसे हो चुके हैं, इनमें क्रैश लैंडिंग और इमरजैंसी लैंडिंग भी शामिल है। इनमें 13 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं। अहमदाबाद में हुए ​विमान हादसे में 270 लोगों की मौत के बाद देश अभी पूरी तरह से उभर नहीं पाया। 30 अप्रैल से शुरू हुई उत्तराखंड चारधाम यात्रा के बाद लगातार हो रहे हैलीकॉप्टर क्रैश एक्सीडेंट से उत्तराखंड ‘क्रैश कैपिटल’ बन रहा है। 15 जून को गौरीकुंड में हुए हैलीकॉप्टर हादसे में पायलट समेत 7 लोगों की मौत हो गई।

हादसा तब हुआ जब हैलीकॉप्टर केदारनाथ से श्रद्धालुओं को लेकर गुप्तकाशी के लिए उड़ा था लेकिन गौरीकुंड के पास ही मौसम खराब होने से हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया और 7 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले भी चारधाम यात्रा में अन्य संचालित हैलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त या क्रैश लैंडिंग हो चुकी है। 8 मई 2025 को उत्तरकाशी जिले में क्रिस्टल एविएशन का हैलीकॉप्टर गंगनानी के पास क्रैश हो गया था। ये हैलीकॉप्टर खरशाली से झाला जा रहा था। हैलीकॉप्टर में बैठे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश के यात्री गंगोत्री धाम दर्शन के लिए जा रहे थे। इस हादसे में पायलट समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया था।

7 जून को क्रिस्टल एविएशन के ही हैलीकॉप्टर की बड़ासू हेलीपैड से केदारनाथ धाम हेलीपैड के लिए उड़ान भरते हुए हाईवे पर क्रैश लैंडिंग हो गई थी। गनीमत रही कि इस क्रैश लैंडिंग में हैलीकॉप्टर में सवार और हाईवे पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को कुछ नहीं हुआ। हालांकि इस क्रैश लैंडिंग से हैलीकॉप्टर का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त होने के साथ ही हाईवे पर खड़ी एक कार को भी नुक्सान पहुंचा था। इस हादसे के दौरान हैलीकॉप्टर में पायलट समेत 7 लोग सवार थे। घटना के बाद डीजीसीए ने क्रिस्टल एविएशन कंपनी के हैलीकॉप्टर संचालन पर अगले आदेश तक पाबंदी लगा दी थी, जो अभी भी जारी है। यह हादसे दिखाते हैं कि उड़ानों का परिचालन करने वाली विमानन कम्पनियों पर कोई अंकुश नहीं है।

एक दिन में उनके द्वारा संचालित की जाने वाली उड़ानों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है। एक हैलीकॉप्टर में कितने यात्री सवार हो सकेंगे, किसी नियम का पालन नहीं किया जा रहा। एक के बाद एक हादसों से कोई सबक नहीं लिया जा रहा। उत्तराखंड में हैलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं। चारधाम में उड़ने वाले हैलीकॉप्टर सिंगल इंजन के हैं। दुर्गम और अतिसंवदेनशील पहाड़ियों में हैलीकॉप्टर को उड़ान भरनी पड़ती है। मौसम खराब होना भी दुर्घटना का बड़ा कारण बनता है। बिजनेस के लिए लगातर हैलीकॉप्टर उड़ाए जाते हैं। एसओपी का पालन नहीं किया जाता है। हैलीकॉप्टर की मेंटिनेंस भी नहीं के बराबर होती है। हैलीकॉप्टर की हो रही लगातार दुर्घटनाओं के बाद डीजीसीए और राज्य सरकार सख्त हुई है।

राज्य में हैलीकॉप्टर सेवाओं और उड़ान के लिए जल्द देहरादून में इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर बनाया जाएगा। उत्तराखंड में लगातार होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकता था, अगर नियमों का कागजों की जगह कड़ाई से पालन करवाया जाता। ऐसे में सवाल न सिर्फ हैलीकॉप्टर कंपनियों पर है, बल्कि नियम बनाने वालों से भी पूछा जा रहा है।

हर हादसे के बाद सख्त निर्देश जारी कर दिए जाते हैं। गौरीकुंड हादसे के पीछे खराब मौसम को कारण बताया गया। हादसे में मारे गए पायलट भी बहुत अनुभवी थे लेकिन सवाल यह है कि खराब मौसम के बावजूद उड़ान की अनुमति क्यों दी गई। यह पहले ही पाया जा चुका है कि हैलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने वाली कम्पनियां निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रही। लापरवाही करने पर इन कम्पनियों को पहले भी जुर्माना लगाया जा रहा है लेकिन इंसानी जीवन की कीमत जुर्माना नहीं हो सकता।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे को गंभीरता से लेते हुए हैली सेवा पूर्ण रूप से बंद रखने और पायलटों के हिमालयी क्षेत्रों में उड़ान अनुभवों की जांच समेत सभी हैली ऑपरेटरों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही पुन: हैलीकॉप्टर सेवा शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उड़ानें संचालित करने वाली कम्पनियों की जांच ईमानदारी और गंभीरता से की जाए ताकि लोगों का अमूल्य जीवन बचाया जा सके। हैलीकॉप्टर हादसों में सीडीएस जनरल विपिन रावत, कांग्रेस नेता संजय गांधी, माधव राव सिंधिया, आंध्र के मुख्यमंत्री रहे राजशेखर रेड्डी, अरुणाचल के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी, जाने-माने व्यवसायी ओपी जिंदल की मौत हैलीकॉप्टर हादसों में ही हुई थी। अनेक नेताओं की जानें जा चुकी हैं लेकिन अफसोस हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। अगर ऐसा ही होता रहा तो ​विमान सेवाएं अपनी साख और भरोसा पूरी तरह से खो देंगी।

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