Uttarakhand: 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर 'गायब', नोटिस जारी, 20 लाख से 2.5 करोड़ तक की होगी वसूली
Uttarakhand: उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक बड़ा मामला सामने आया है। सरकारी खर्च पर बने डॉक्टरों ने बॉन्ड नियमों का उल्लंघन किया। विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनाती के बाद 118 बॉन्ड धारक डॉक्टर ( Bond Doctors ) वहां अपनी सेवा देने के लिए नहीं पहुंचे। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 118 बॉन्ड धारक डॉक्टरों ने अपने बॉन्ड के शर्तों को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड के सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं देने के बजाय बॉन्ड की शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके बाद हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी बॉन्ड धारक डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
Uttarakhand: डॉक्टरों पर होगी कानूनी कार्रवाई
जवाब नहीं मिलने पर वहां के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करेगा। सरकार ने इन डॉक्टरों को कम खर्चे में बॉन्ड के तहत मेडिकल की पढ़ाई करवाई थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों को उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनाती भी दे दी गई, लेकिन ये बॉन्ड धारक डॉक्टर अपनी तैनाती स्थल पर नहीं गए। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन अब इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहा है।
20 लाख से लेकर 2.5 करोड़ रुपए की वसूली की तैयारी
इन डॉक्टरों में 28 पीजी और 90 एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने चेतावनी दी है कि जवाब न देने पर डॉक्टरों के गृह जनपद के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इनसे 20 लाख से लेकर 2.5 करोड़ रुपए तक की वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
Bond Doctors ने बॉन्ड शर्तों का उल्लंघन किया
इन सभी डॉक्टरों ने पढ़ाई के दौरान रियायती फीस के एवज में जो बॉन्ड भरा गया था, उन शर्तों का उल्लंघन किया है। मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के अनुसार, इन डॉक्टरों ने एमबीबीएस और पीजी कोर्स के दौरान बॉन्ड साइन किया था, जिसमें निर्धारित अवधि तक सरकारी अस्पतालों में सेवा देने की शर्त थी। डीजी हेल्थ के माध्यम से डॉक्टरों की उत्तराखंड के अलग-अलग अस्पतालों में तैनाती भी की गई।
15 दिन के भीतर मांगा जवाब
इन डॉक्टरों ने अपनी तैनाती के बाद निर्धारित स्थानों पर कार्य नहीं किया, जोकि बॉन्ड की शर्तों का उल्लंघन है। इन डॉक्टरों को पूर्व में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद अब अंतिम नोटिस जारी कर डॉक्टरों से 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। जवाब नहीं देने की स्थिति में बॉन्ड धारक डॉक्टरों के गृह जिले के जिलाधिकारी को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
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